कुछ इत्तेफाक अच्छे होते है।
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_मुकद्दर_
ठोकर मारने वाला..
वो पत्थर भी रोया है...
दीदार-ए-मुफलीसी पर...
मुकद्दर भी रोया है.....-
हे महादेव जी!
मुकद्दर क्या होता है,
ये तो मुझे मालूम नही,
पर तू सबकी सुनता है,
ये खबर पक्की है ।।
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उसके चले जाने के बाद
जिंदगी की चाह नहीं रही दोस्तों
कभी उसी ने कहा था
मेरे अलावा किसी और को मत चाहना
हम दोनों का मिलना मुकद्दर में नहीं था
पर जो मोहब्बत उससे हुई बा कमाल थी-
दिल के अंदर एक बवंडर उठता है ...
जाने वह किस के मुकद्दर लिखा है ...
दिल जलाया हमने अपना जिसके खातिर...
जाने किसकी जुल्फ के साए बैठा है...
दीदा ए शौक़ और उसकी तमन्ना में ...
आंखों ने कई रात जगाए रखा है ...
भंवर में डूबना तय है दिल की कश्ती का ..
जिद्दी दिल ये किनारे की उमीद लगाए बैठा है।-
बेवजह रूठ जाना तेरा मेरे मुकद्दर की तरह,
मान जाने की भी कोई तारीख मुकर्रर कर दो !-
हर किसी के मुकद्दर में प्यार करना तो लिखा है
लेकिन पाना तो हर किसी के इख़्तियार में नहीं
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