मिट्टी में ही मिलना है,
दुनिया देगी ठोकरे हजार ,
अंत में मिट्टी को ही गले लगाना है।-
ताकि कल जब मैं इस सदमें से और तेरे दिए इन बेवफाई के जख्मों से उबर जाऊँ तो मुझे इन तस्वीरों से सीख मिलती रहे कि जिंदगी में सब कुछ करना है लेकिन इस ग़लती को "दोबारा दोहराना नही है"
लाख बहलाए-फुसलाये ये दिल लेकिन इस के "बहकावे में आना नहीं है"
कितना भी मासूम हो कोई नही चेहरा अबकी बार फिर से उसके लिए "आशियाना बनाना नही है"
अब बस मेरी तन्हाई ही है मेरी सबसे सच्चा और अच्छा साथी, इसके अलावा मेरे "कोई और ठिकाना नहीं है"-
ऐ! इन्सान ज़िन्दगी में किसी
भी मुकाम पर पहुँच जाओ
मगर एक बात कभी मत भूलना
ये शरीर मिट्टी का बना है
जिसे हमने सवांर कर रखा है
मत करना कभी घमंड इस
मिट्टी के बने जिस्म का
कुदरत का यही नियम है
मिट्टी से बनी देह एक दिन
मिट्टी की गोद में ही समा जाएगी-
ऐ कलम ..!
तुम कुछ ऐसा लिखना
हित मे हो जो मेरी जनता के
बुराई तुम बस
इतनी ही करना अपने शब्दो में
की बदलाव की आग जल सके सिने में
अपनी लेखन से तुम कलम
एक भगत सिंह और बनाओ l
लक्ष्मी, गांधी जैसी तुम भी
इस अन्धेरे कमरे मे
अब एक जलती लॉ जलाओ
ड़ूब रहा हैं देखो, सब कुछ
एक कदम मैने बढ़ाया
तुम भी थोड़ा सा हाथ बढ़ाओ-
बुजुर्गों के पास बैठ कर देख एक बात पता चलता है
मिट्टी से भी यारी रख औकात पता चलता है-
Mitti se bhi yaari rakh,
Jaam apna jaari rakh,
Ek din kisan ban kuch mohabbat apni rakh,
Desh ki mitti hai khayal uska rakh,
Kichar bhi aa pade tere ,uper khushi chere per rakh,
Yaar hai tera shaitani kuch uski chakh-
मिट्टी से भी यारी रख, मिट्टी ने बहुत काम आना है
हर एक बशर ने दुनिया के आखिर मिट्टी बन जाना है
इस मिट्टी में पोशीदा है तेरे अपने अजदाद का खूं
और उसके साथ दफ़न हैं उनके सारे ग़म और सारे सुकूं
मिट्टी से ही पैदा होनी है सब्ज़ हयात और सब फसलें
मिट्टी से ही पैदा होंगी तेरी आने वाली नस्लें
इस मिट्टी का इक क़र्ज़ है तेरा जिस्म-ओ-जां तेरा पैकर
ये क़र्ज़ चुकाना है तुझको वापिस सब कुछ इसको देकर-
सफर जिंन्दगी का नहीं आसान
अपने कदम तू बारी- बारी रख
होती है आखरी मंजिल सबकी
बस उस मिट्टी से तू यारी रख
मिली है तुझको अगर ये दुनिया
मन मे चाहत तू बहुत सारी रख
सफर जिंन्दगी का नही आसान
अपने कदम तू बारी- बारी रख-
इतनी तो दिलदारी रख
सौंधी खुशबू उसकी
मन मुग्ध कर लेगी
ज़रा चख कर देख
सारी choclate भुला देगी।-
कर बुलंद हौसले आसमान छूने की
लेकिन ज़मीन से चाहत जारी रख
यही जन्मभूमि यही कर्मभूमि तेरी
इसके लिए अपने ज़िम्मेदारी रख
मिट्टी से भी यारी रख-