चंद्रविद्या   (चंद्रविद्या)
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Joined 22 May 2019


Joined 22 May 2019

आईने के सामने

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धमनी और वीरान रास्ता

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कहानी दस रुपए

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लेखिका : चंद्रविद्या

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मैं लिखना चाहती हूं

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मिनी और उसके बाबू साहेब
✍️👇
कहानी अनुशीर्षक में

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कहानी : एक सवाल।

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नन्ही छोटी मुट्ठी
मुट्ठी में कुछ तो बंद थे
बंद थे कुछ छोटे– छोटे दाने
बंद मुट्ठी पर ताले
सरक रहे है पीछे
फिर भी गिर कुछ गए नीचे
धबड़– धबड चित की रफ्तार लिए
डरे हुए जज्बात लिए
ठंडे– ठंडे हाथ लिए
दबे पांव वो चुपके
घिसक रहे वो छुपके
लेकिन लगता है चोरी पकड़ी गई
नज़रे मम्मी पर जब जा अटके
घूर रही थी डांट लिए
लंबी सी छड़ी वो हाथ लिए
खींच रही थी कान
बिलकुल भी नही सुनता मेरी
बोली तू हो गया शैतान

✍️रिंकी उर्फ़ चंद्रविद्या

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मैं हार गई वो मुझे हार गए

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जैसे-जैसे समय बीतता गया ,
समय तुम्हारी और तुम्हारी जिंदगी की कहानियां बताता है।
जब तुम किसी और के घर पत्नी बनकर आई।
तुम बहू बनी
और फिर मां।
तुम्हारा हर वक्त मेरे लिए
तुम हर वक्त उपलब्ध
तब तुम्हारी जिंदगी में मुझसे ज्यादा कोई नहीं था।
तुम्हारा त्याग, तुम्हारा समय
और तुम्हारा समर्पण ,
तुम्हारी सारी खुशियां तुम्हारी न रहकर
मेरी हो गईं?
हम चार थे
लेकिन हम तुम्हें खुशी नहीं दे पाए।
तुम एक थी लेकिन हम सबकी जिम्मेदारियां उठा ली
मुझे तुम्हारे सीने में
शांति की छाया मिलती है
तुम ना जाने कब से हमें आराम देने के लिए
रात-रात भर नहीं सोई।
मां तुम्हारा एहसास, तुम्हारा स्पर्श
कितना पवित्र है।
मैं चैन से सो गया,
बिना जाने कि तुम कैसी हो।
और जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ
मुझे लगा कि शायद तुम मुझे भूल गई हो
शायद तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो
अब मुझे लगता है
तुम हमसे कभी दूर नहीं गई,
हम बहुत दूर चले गए थे

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