केस का मज़ा जिरह मे है
और इश्क का मजा बिरह मे है-
मुझे कुछ नहीं आता है शिवाय बाते बनाने के
लोग कया... read more
वो हमसे बिछड़ गए अपना सारा हिसाब लेकर
हमने भी बुझा दी आग सीने की शराब पीकर
उन्हें लगा कि हम बिखर जाएंगे, मर जायेंगे
और हमने खुद को सम्भाल लिया किताब लेकर-
उसकी तस्वीर दीवार से लगा रखी हैं
हमने एक शर्त प्यार से लगा रखी हैं
अब देखना है कि जोर कितना बद्दुआवो मे है
हमने भी अपनी कश्ती समंदर में उतार रखी है-
जो चेतना से परे है उसे काल पर छोड़ दो
मैं जिस हाल पर हू मेरे हाल पर छोड़ दो
जिस सवाल का जबाब मिलता नहीं किताबों में
उस सवाल का जबाब उसी सवाल पर छोड़ दो-
जिसको जाहिर न किया जा सके ऐसा कोई ज़ज्बात नहीं होता
कोई मर नहीं जाता अगर किसी से बात नहीं होता
सब कुछ पाकर जिंदगी में ये एहसास हुआ
कि, आनंद से अमीरी का कोई ताल्लुकात नहीं होता-
ऐसा नहीं है कि मेरे ज़िंदगी में बवाल नहीं है
बस मोहब्बत के जैसे कोई सवाल नहीं है
लोग पीठ पीछे गालियाँ देकर ये समझते हैं
कि, कमबख्त मेरे खून में उबाल नहीं है
इतनी कम उम्र में ही इतने तजुर्बे हो गए
कि अब मर भी जाए तो कोई मलाल नहीं है-
फ़िर से तैयारी कर, ग़र इश्क़ में नाकाम हो गया है
कमबख्त मोहब्बत भी competition का exame हो गया है
मुद्दतों बाद देखा उस शख्स को किसी के साथ मे
मुझसे बिछड़कर वो शख्स और भी गुलफाम हो गया है
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इश्क के नासूर को कैसे निकाला जाय
अखिर इस पागल दिल को कैसे सम्भाला जाय
बस अब बहुत हुआ, नहीं जी सकते तुम्हारे बग़ैर
मीरा के जैसे ज़हर का प्याला मुझे भी पिलाया जाय
वो एक शख्स जो मर गया मुझमें वर्षो पहले
करके अनुष्ठान, उस शख्स को फ़िर से जिलाया जाय
मेरे लहू के हर कतरे में अब भी एक अक्स रहता है
तुम ही कहो कि 'विकास' अब उसे कैसे भुलाया जाय
उसकी यादों की हवन में हर रोज होतीं हैं आहुति मेरी
निकाल के लहू मेरे जिस्म से,अब उसमें शराब मिलाया जाय-
तुम जहा कहो जैसे भी मैं इम्तहान भी दे दूँगा....
इक बार हस के माँगों ऐ हमसफ़र, मैं जान भी दे दूँगा....-
रफ़्ता-रफ़्ता यू ही मेरे खुशियो का दमन होता है
जब - जब भी तेरी यादों का आगमन होता है-