Vikash Pal   (Vikash ghazipuri)
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Joined 3 November 2018


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30 JAN AT 8:11

उसकी तस्वीर दीवार से लगा रखी हैं
हमने एक शर्त प्यार से लगा रखी हैं

अब देखना है कि जोर कितना बद्दुआवो मे है
हमने भी अपनी कश्ती समंदर में उतार रखी है

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31 OCT 2023 AT 17:54

जो चेतना से परे है उसे काल पर छोड़ दो
मैं जिस हाल पर हू मेरे हाल पर छोड़ दो
जिस सवाल का जबाब मिलता नहीं किताबों में
उस सवाल का जबाब उसी सवाल पर छोड़ दो

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17 OCT 2023 AT 14:46

जिसको जाहिर न किया जा सके ऐसा कोई ज़ज्बात नहीं होता
कोई मर नहीं जाता अगर किसी से बात नहीं होता
सब कुछ पाकर जिंदगी में ये एहसास हुआ
कि, आनंद से अमीरी का कोई ताल्लुकात नहीं होता

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13 OCT 2023 AT 15:52

ऐसा नहीं है कि मेरे ज़िंदगी में बवाल नहीं है
बस मोहब्बत के जैसे कोई सवाल नहीं है

लोग पीठ पीछे गालियाँ देकर ये समझते हैं
कि, कमबख्त मेरे खून में उबाल नहीं है

इतनी कम उम्र में ही इतने तजुर्बे हो गए
कि अब मर भी जाए तो कोई मलाल नहीं है

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18 OCT 2022 AT 20:25

फ़िर से तैयारी कर, ग़र इश्क़ में नाकाम हो गया है
कमबख्त मोहब्बत भी competition का exame हो गया है
मुद्दतों बाद देखा उस शख्स को किसी के साथ मे
मुझसे बिछड़कर वो शख्स और भी गुलफाम हो गया है

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5 MAY 2022 AT 19:39

इश्क के नासूर को कैसे निकाला जाय
अखिर इस पागल दिल को कैसे सम्भाला जाय

बस अब बहुत हुआ, नहीं जी सकते तुम्हारे बग़ैर
मीरा के जैसे ज़हर का प्याला मुझे भी पिलाया जाय

वो एक शख्स जो मर गया मुझमें वर्षो पहले
करके अनुष्ठान, उस शख्स को फ़िर से जिलाया जाय

मेरे लहू के हर कतरे में अब भी एक अक्स रहता है
तुम ही कहो कि 'विकास' अब उसे कैसे भुलाया जाय

उसकी यादों की हवन में हर रोज होतीं हैं आहुति मेरी
निकाल के लहू मेरे जिस्म से,अब उसमें शराब मिलाया जाय

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24 MAR 2022 AT 19:42

तुम जहा कहो जैसे भी मैं इम्तहान भी दे दूँगा....
इक बार हस के माँगों ऐ हमसफ़र, मैं जान भी दे दूँगा....

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24 MAR 2022 AT 19:37

रफ़्ता-रफ़्ता यू ही मेरे खुशियो का दमन होता है

जब - जब भी तेरी यादों का आगमन होता है

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18 DEC 2021 AT 14:43

रफ़्ता-रफ़्ता यू ही ग़म की उम्र भी कट जाएगी
मेरी नींद तो उचट गई है तेरी भी उचट जाएगी
ऐ मेरे ख्वाबों को चूर - चूर करने वाली सुन
टूटेगा गुरूर तेरा भी जिस्म क़ब्र से लिपट जाएगी

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12 DEC 2021 AT 13:03

परवाह नहीं है ग़र, तुमको हमारी
तो कह दो कि हमसे मोहब्बत नहीं है

यूं रात - दिन तुम मुस्कराते हो कैसे
इधर आँखों में आँसू ठहरते नहीं है

तुझसे बिछड़ कर कहा जाएंगे हम कि,
शहर में मेरे नाम से मुझे कोई जानता नहीं है

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