Samar   (समर)
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Joined 5 May 2019


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12 NOV 2023 AT 9:03

जहां भर की खुशियां हजारों दिए
निगाहें भी झिलमिल सितारे लिए

मुकम्मल हों सब ख्वाहिशें हसरतें
दिवाली सी हर रात रौशन रहे

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6 OCT 2023 AT 17:52

वक्त पर, हालात पर
ख्वाहिशों के हश्र पर
सहमे हुए जज़्बात पर

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7 NOV 2022 AT 20:30

रुकने की ये आहट है या चलने का शोर है
हम दोनो के अलावा यहां कौन और है

जब बात मुकद्दर की उठी तब लगा मुझे
तक़दीर का कातिब भी बड़ा कामचोर है

कुछ मंजिलें भी दूर हैं कुछ रास्ते मुश्किल
इस पर शब ए स्याह आंधियों का ज़ोर है

पहली ही नज़र से मुझे हैरान कर दिया
अब उसके हाथ में मेरी क़िस्मत की डोर है

मैं बोलता जाता हूं वो सुनते हैं ध्यान से
फिर कहते हैं कि मुद्दा तलबगार -ए- गौर है

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28 OCT 2022 AT 12:51

कुछ दिन पहले रात ढले जब खिड़की खोली ख़्वाबों की
दूर अकेला चांद खड़ा था ओढ़े परत हिजाबों की

उजले चेहरे पर सुराग था सुर्ख सुनहरी लाली का
जैसे कोई छिटक गया हो रंगत लाख़ गुलाबों की

कुछ सवाल थे ज़हन में मेरे चांद को जो मालूम भी थे
लेकिन फिर भी तलब थी मुझको उसके गलत जवाबों की

दूर है लेकिन लौट आता है हर दिन मेरे खाबों में
वही पुरानी अपनी कहानी उसके दिए अज़ाबों की

मिलना और बिछड़ना किस्मत, खुश रहना हर हालत में
ये सारी की सारी बातें, बातें सिर्फ़ किताबों की

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26 OCT 2022 AT 10:50

हम
आपको राह भुलाने की
बाकी आपकी मर्ज़ी है फिर
रुकने की या जाने की

अपना क्या है अपने दिल को
आखिर समझा लेंगे हम
इसको आदत हो गई है अब
खिलने और मुरझाने की

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24 OCT 2022 AT 15:34



ज्ञान की बात बताऊँ बोलो
कुछ प्रवचन सुनाऊँ बोलो
आज तुम्हारे अंतर्मन की
हर गुत्थी सुलझाऊँ बोलो

हीरे मोती और अपार धन
इन की तृष्णा में डूबा मन
भूल गया कि समय प्रबल है
और समय ही होता है कम

समय का रंग दिखाऊँ बोलो

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23 OCT 2022 AT 14:31

दीप बन जाऐं किसी का 
काफ़िला इक रौशनी का 
दूर कर दें हर अँधेरा 
बदहवास-ए-ज़िन्दगी का 

जिसकी किस्मत हो सवाली 
वक़्त मुश्किल हाथ खाली 
उनके घर भी है दिवाली 
हक़ है उसको रौशनी का 

थोड़ी सी ज़हमत उठाएं 
दो क़दम आगे बढ़ाएं  
रात को दिन से मिलाएं 
फ़र्ज़ है हर आदमी का 

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23 OCT 2022 AT 13:57

दीप बन जाऐं किसी का 
काफ़िला इक रौशनी का 
दूर कर दें हर अँधेरा 
बदहवास-ए-ज़िन्दगी का 

जिन की किस्मत हो सवाली 
वक़्त मुश्किल हाथ खाली 
उनके घर भी है दिवाली 
हक़ है उनको रौशनी का 

थोड़ी सी ज़हमत उठाएं 
दो क़दम आगे बढ़ाएं  
रात को दिन से मिलाएं 
फ़र्ज़ है हर आदमी का 

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14 NOV 2020 AT 10:53

चिरागों से रौशन जहां आपका
सितारों भरा आसमां आपका

बहुत कामयाबी मिले आपको
बड़ी दूर तक हो निशां आपका

जो अपने हैं अपने रहें उम्र भर
सलामत रहे कारवां आपका

दिवाली के दिन ये दुआ है मेरी
महकता  रहे आशियां आपका

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2 NOV 2020 AT 16:53

फिर से दिल में उतर गया वो आज

मैं उसे छू के देखता लेकिन
खुशबू बन के बिखर गया वो आज

उसकी आंखें भी कह रहीं थीं वही
जिस से गोया मुकर गया वो आज

या किसी अश्क या आंखों में किसी
गहरे गम सा ठहर गया वो आज

अब तो मुड़ कर भी न देखेंगे उसे
बेरूख़ी से अगर गया वो आज

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