Swati Sucharita Guru  
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Joined 10 April 2018


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Joined 10 April 2018
10 DEC 2024 AT 15:22

मेरे घर के बगल में एक दरख़्त हुआ करता था
जड़े ज़मीन चीरती थी और डालि आसमान को छुआ करता था

उसकी पहलू में मौसम करवटें बदलती थी
उसके सीने में चांद छुपा करता था

मुस्कुराया करता था वो
जब चिड़ियों की चहकहाट से उसका महफ़िल सजा करता था

छाव ऐसी जो जलते रूह को सुकून दे
पत्ता पत्ता उसका नज़्म गाया करता था

मेरे घर के बगल में एक दरख़्त हुआ करता था
जड़े ज़मीन चीरती थी और शखाए आसमान को छुआ करता था

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12 JUL 2024 AT 1:58

पंख फैलाकर उड़ जाना
मुझे कभी नहीं आया
उड़ने की कोशिश में हर बार मेरे पाँव
जमीन में और गड़ गए
मेरा नाता मिट्टी से जुड़ा अंबर से नहीं
पंख शाखाओं की तरह धूप सावन झेलते रहे,
पाँव जड़ों की तरह और मजबूत होते गए
मुझे चिड़िया बनने से ज्यादा सही लगा
वृक्ष बनना
जिस पर कोई चिड़िया अपना घोंसला बना सके..

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7 APR 2024 AT 22:59

तुमसे आदतें बहुत सी हैं,
जा चुकी हैं कुछ,
पर बाकी बहुत सी हैं।

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4 MAR 2024 AT 13:11

मेरे हिस्से का
वसंत जब आएगा
एक बार में सारे
पतझड़ ले जायेगा
बस
डर इस बात का है
के कहीं उसके आने तक
ख़त्म न हो जाए
मुझमें वसंत का मोह

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11 FEB 2024 AT 23:25

घाट का एक खामोश पत्थर हूँ मैं,
मैंने नदी के बहाव के हज़ार चोटें खाई हैं

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7 FEB 2024 AT 22:27

उगी है ज्योति जग को तारने को,
जन्मा है तू कभी नहीं हारने को

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5 FEB 2024 AT 0:01

थक गया है हर शख़्स काम करते करते
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।
गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है

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3 JAN 2024 AT 1:09

इस दुनिया में हासिल भला क्या है ?
तेरे सिवा इबादत के काबिल भला क्या है ?

क्या करोगे सीने में नफ़रत को पाल कर ?
मोहब्बत के शिद्दत के मुक़ाबिल भला क्या है ?

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1 JAN 2024 AT 12:46

....

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14 DEC 2023 AT 22:41

कुछ अजीब से होते हैं लोग
सब पाने की आस में सब खोते हैं लोग

जिंदा लोगों की कदर नहीं करते
तस्वीरें देख देख कर रोते हैं लोग

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