QUOTES ON #माजी

#माजी quotes

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16 AUG 2020 AT 7:46

माजी में जख़्म खाए हैं तो दुखेंगे ही, कुरेदते क्यों हो?
आगे बढ़ना है गर मकसद तो बार-बार मुड़ते क्यों हो?

वक्त तो आएगा , वक्त से ही; उसका एहतराम करना,
थोड़ा जज़्बा भी रखो वरना समन्दर में उतरते क्यों हो।

ये शौक़ रखते हो कि हर महफ़िल में तुम्हारे चर्चे हों,
सिमट के अपने ही दामन में, यूं छुप के निकलते क्यों हो?

जो खौफ इतना सता रहा है , राह की दुश्वारियां का;
सुकून से घर में रहो , इश्क की राह में निकलते क्यों हो!

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9 FEB 2019 AT 19:13

हवा यादों की चलती है जब भी
पन्ने माज़ी के पलटती चलती है

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16 AUG 2020 AT 19:38

खुद से अदावत करनी थी
तो माजी से राब्ता कर लिया
तलब थी हर्फ बनने की
वक्त की सोहबत ने
अफसाना बना दिया
जहनसीब है हयात
जो रब ने आशना बना दिया ✍️✨



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30 JUN 2017 AT 17:11

हम माजी की रवानी से वाकिफ हैं
अब हमें मुस्तकबिल का जायजा लेना है।

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1 JUL 2017 AT 21:41

वो बुजदिल तो नही
जाने क्यों कतराता है
वो मासूम मेरा माजी
आईने के इस तरफ
आने से घबराता है

-रमन

*(Full poem in CAPTION)

माजी=अतीत/past

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10 OCT 2020 AT 22:32

सोचेंगे लिखेंगे तुम पर ही, तुम पर ही कलम राजी होगी ।
एक तुम ही बनोगी मुस्तकबिल एक तुम ही मेरी माजी होगी ।
ये खबर कहाँ कब थी मुझको जो कश्ती मुझे डुबोयेगी ,
उस कश्ती की किस्मत ये होगी की तुम उसकी माझी होगी ।

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21 JUN 2020 AT 20:19

ये रातें तो उनकी उसी के नाम है...
हमारा होना तो बस माजी का इंतकाम है...

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24 MAR 2020 AT 19:53

when You know Target
then Problem will come
give smile & Fight with Conditions !

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23 SEP 2020 AT 13:12

उन खुशगवार लम्हों की तासीर को,
मुस्कुराना चाहती हूँ
चराग़- ए- रौशन तसव्वुर में,
कुछ, गुनगुनाना चाहती हूँ

अहसासों के नरगिसी शज़र को,
तनहाइयाँ में बोना चाहती हूँ
शाम-ओ- सहर की जुस्तजू में,
ख़ुद को खोना चाहती हूँ

तुझे तकिये के सिरहाने संजोकर,
सुकूं से सोना चाहती हूँ
ए- माज़ी,आज़ कुछ वक़्त को,
तेरे साथ मशरूफ़ होना चाहती हूँ!!

तासीर - असर
तसब्बुर - कल्पना
शज़र - पेड़
ज़ुस्तज़ू - खोज,चाहत

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28 JUN 2020 AT 10:04

" माजी की धूल झाड़ दे "

हर एक सपना है मेरे
जीवन मेरी पहेली है
ख्व़ाब तो बहुत है मेरे
मन की आश नहीं है
कहानी की किताब में है मेरे
जिन्दगी की कहानी में नहीं है
यादों का हर दिल में है
माजी की धूल झाड़ दे

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