Parmanand Raman   (परमानन्द रमन)
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Joined 29 May 2017


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28 JUN 2023 AT 13:20

जब तक, जहां तक हो सके
बचना
तोड़ने से चीजों को

कोई कितना भी दिलाए भरोसा
कि वह कुछ भी तोड़ सकता है
तुम्हारे लिए
ऐसे भरोसे से बचना

टूटना अलगाव है
ऐसे अलगाव से बचना

कभी कुछ टूट भी जाए
भूलवश
तो उसे सहगा रखना
अपनी स्मृति में

याद रखना
टूटना एक घटना है
जुड़ना एक प्रक्रिया

इसलिए मेरी बच्ची
अंत तक, अंतिम प्रयास तक
बचाना
चीजों को टूटने से

-शिवगामी के लिए
28-06-23

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9 JUN 2020 AT 10:01

आँकड़ों में दर्ज मै
व्यवस्था में प्रचलित कोड के
एक नंबर की तरह रहा

प्रचलन से बाहर मेरी संवेदना
जिसे लेकर नही पाता प्रवेश आँकड़ों में
अतः बाहर पड़ा रहा चप्पलों सा
योजनाओं और अनुकम्पा के सूचकांक से

वर्जित चीजों के साथ
आँकड़ों में प्रवेश-निषेध है

किसी ने मुझसे नही मांगी राय
ना बता पाया कुशलक्षेम ही
प्रत्युत्तर में

किसी भी सर्वे में शामिल नही रहा
जिनमें चुनना होता है एक विकल्प
तीन विकल्पों में से

जबकि जीवन के सबसे आश्वस्त क्षणों में
तीन से ज्यादा विकल्प होते हुए भी
मैने कहा- पता नही

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2 JUN 2020 AT 21:18

आकलन
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ऊँचाई से सब देखा
और दर्ज किया जा सकता है
यहाँ एक लड़ाकू विमान की तरह
आप निपुण हो जाते हैं
खोजकर पहचानने और मार गिराने में

गिरने और गिराने का यह प्रचलित खेल
संभव है मात्र एक ऊँचाई से उपर

समस्त चमत्कार घटित होते है
एक निश्चित ऊँचाई के उपर
जहाँ मनुष्य उछालता है अपना अपराध-बोध
पलायन वेग से
और निष्पाप हो प्राप्त करता है देवत्व

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

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22 APR 2020 AT 12:58

खेत भर जमीन
छत भर आसमान
सांस भर वायु
प्यास भर पानी
भूख भर भोजन
छांव भर वृक्ष
बारिश भर बादल
पीठ भर पहाड़
ऊजाले भर दिन
नींद भर रात
और
घर भर पृथ्वी

याद से चेता देना
अपनी भावी संतानों को

कि कैसे
एक कुटिल याचक ने
योजनाबद्ध तरिके से
हथिया ली थी
तुमसे तुम्हारी पृथ्वी

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17 APR 2020 AT 22:30


सभ्यता की परत से नीचे पसरते
"ये भारत के लोग"
आपको देखना चाहिए था इन्हें
अदरक की तरह

जिसे काटकर/कुचलकर
मात्र आँकड़े बदले/छुपाये गये हैं

शिराओं के अंतिम सिरे तक
कड़वाहट से भरे ये लोग
चुपचाप जा रहे हैं
आपकी तरफ बिना देखे

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8 MAR 2020 AT 15:25

पूर्वाग्रह
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जितनी सहजता
और निजता से
एक निरीह पक्षी जा बैठता है
एक अपरिचित पशु की पीठ पर

ओ मनुष्य,
क्या तुम दे सकते हो उसे?
उतनी सहजता
उतना निजता
परिचय के पूर्व
प्रेम से पूर्व
पूर्व किसी भी पूर्वाग्रह के

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16 JAN 2020 AT 11:04

अलार्म
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उस हादसे में एक ऐसा था
जो घटनास्थल पर मारा गया

दर्जन भर घायल हुए

घायलों में तीन ने
गंभीर हालत में
अस्पताल जाकर दम तोड़ा

बाकी जितने भी थें
बस देख रहे थें तमाशा

जो ना घायल हुए
ना मारे गए


उन्होंने टीवी देखा
डिनर किया
अलार्म लगाया और सो गये

उन्हें जल्दी उठना है
अगले दिन शिकार होना है
ऐसे ही किसी हादसे का

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10 JAN 2020 AT 22:15

गुमशुदा
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जब भी कोई पेड़
या परिंदा
होता है गुम

गिनती भूल जाता है
जंगल

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24 DEC 2019 AT 15:52

आवेदन
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नही था कोई कॉलम
किसी भी आवेदन-पत्र में

जहाँ लिखी जा सकती थी
पृथ्वी
स्थायी पते की जगह

और आवेदक की जगह
मनुष्य

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8 JUL 2019 AT 21:23

स्मृति
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तुम मेरी स्मृति में हो
ठीक इसी क्षण
इस क्षण की स्मृति में

यह क्षण
जिसकी स्मृति में तुम हो
बीत रहा है
अगले क्षण के आलोक में

ऐसे क्षणों की क्षणिक नदी
जिसकी स्मृति में तुम हो
बह रही है

मै उठाना चाहता हूँ
अंजुली में भरकर
तुम्हारी स्मृति का बहता क्षण

चाह जिसमें
मैं उठाने को होता हूँ
क्षण तुम्हारी स्मृति का

यह चाह बीत रही है
तुम्हारी बीतती स्मृति को
बहता देखने की चाह में

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