Dr Jayanti Pandey   (© jayakikalamse)
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Joined 24 May 2020


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27 JUN AT 22:34

कुछ इत्र सी गमकती बातों की सुध
कुछ मख़मल जैसे जज़्बात लिए
दुनिया की भीड़ में सहमा सहमा
ढूढ़ूँ तुमको हाथों में तुम्हारी याद लिए

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25 JUN AT 21:19

नज़र की नज़र से कहाँ है पर्दादारी !

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19 JUN AT 22:22

दुनिया के दिए गम का अँधेरा और तुम्हारी याद का सुर्ख़ फूल
मुझे सिर्फ़ फूल याद रह गया, दुनिया भूल गया फिर से मैं!

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16 JUN AT 12:07

तुम अपने पिता की तरह हो गए
और तुम्हारा पुत्र तुम्हारी तरह
इस तरह तुम्हारी कुल परंपरा का निभाव हुआ ।

बेटी माँ की तरह नहीं हो पायी
और माँ अपनी माँ की तरह ही रहीं
इस तरह बेटियों में विद्रोही परंपरा का प्रादुर्भाव हुआ ।।

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5 JUN AT 22:37

संभावनाएं गुनगुनी सुबह की
पी लेती हैं रात की स्याही,
अतीत की यादें काली हैं तो क्या
भविष्य की उजियारी में अपार संभावनाएं हैं !

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7 APR AT 18:58

सब लिखते रहे पोथियाँ प्रेम की
और हर शाम नए क़िरदारों से संवार ली,
उसने मन के काग़ज़ पर लिखे ढाई अक्षर
और जागी पलकों में उम्र गुज़ार दी!

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30 MAR AT 22:51

सरकती रेत की तरह फिसल रहा है वक्त
इस वक्त की तरह हम भी बीत जाएँगे |
इतना भी न उलझायें रिश्ते की डोर को,
ये कच्चे धागे हैं , देखो टूट जाएँगे||

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30 MAR AT 11:46

रात गहरी है तो गहरी ही सही, तुम न डरो।
सुबह होने को है कुछ देर में, ऐतबार करो ।।

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19 MAR AT 15:08

शुकराना करो हर पल,कोई नेमत हो जैसे

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9 MAR AT 8:15

बतकहियों सी सखियों के सहारे रहिए ,
ज़िंदगी का कुछ बोझ उतारे रहिए ।
हंस के काटिये या रोते बिताइए उम्र ,
जाना तय है जब, रास्ते तो सँवारे रहिए ।।

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