किसी तलाश में बेतहाशा दौड़ती बूँदें, मिलती हैं ज्यों ही बयार से मधुरिम;
पहाड़,नदी,पेड़,फूल,रास्ते सब को सहला जाती हैं ये रिमझिम- रिमझिम !
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किन्तु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह न... read more
सुकून की तलाश में
भटक रहे बुझे बुझे
कभी दूर कभी पास में
मन का हाल कहें किसे
ज़िंदगी मिटा रहे बस
ज़िंदगी की आस में
क्या आप भी …..-
कुछ इत्र सी गमकती बातों की सुध
कुछ मख़मल जैसे जज़्बात लिए
दुनिया की भीड़ में सहमा सहमा
ढूढ़ूँ तुमको हाथों में तुम्हारी याद लिए-
दुनिया के दिए गम का अँधेरा और तुम्हारी याद का सुर्ख़ फूल
मुझे सिर्फ़ फूल याद रह गया, दुनिया भूल गया फिर से मैं!-
तुम अपने पिता की तरह हो गए
और तुम्हारा पुत्र तुम्हारी तरह
इस तरह तुम्हारी कुल परंपरा का निभाव हुआ ।
बेटी माँ की तरह नहीं हो पायी
और माँ अपनी माँ की तरह ही रहीं
इस तरह बेटियों में विद्रोही परंपरा का प्रादुर्भाव हुआ ।।-
संभावनाएं गुनगुनी सुबह की
पी लेती हैं रात की स्याही,
अतीत की यादें काली हैं तो क्या
भविष्य की उजियारी में अपार संभावनाएं हैं !-
सब लिखते रहे पोथियाँ प्रेम की
और हर शाम नए क़िरदारों से संवार ली,
उसने मन के काग़ज़ पर लिखे ढाई अक्षर
और जागी पलकों में उम्र गुज़ार दी!-
सरकती रेत की तरह फिसल रहा है वक्त
इस वक्त की तरह हम भी बीत जाएँगे |
इतना भी न उलझायें रिश्ते की डोर को,
ये कच्चे धागे हैं , देखो टूट जाएँगे||-
रात गहरी है तो गहरी ही सही, तुम न डरो।
सुबह होने को है कुछ देर में, ऐतबार करो ।।-