Dr Jayanti Pandey   (© jayakikalamse)
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Joined 24 May 2020


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7 APR AT 18:58

सब लिखते रहे पोथियाँ प्रेम की
और हर शाम नए क़िरदारों से संवार ली,
उसने मन के काग़ज़ पर लिखे ढाई अक्षर
और जागी पलकों में उम्र गुज़ार दी!

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30 MAR AT 22:51

सरकती रेत की तरह फिसल रहा है वक्त
इस वक्त की तरह हम भी बीत जाएँगे |
इतना भी न उलझायें रिश्ते की डोर को,
ये कच्चे धागे हैं , देखो टूट जाएँगे||

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30 MAR AT 11:46

रात गहरी है तो गहरी ही सही, तुम न डरो।
सुबह होने को है कुछ देर में, ऐतबार करो ।।

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19 MAR AT 15:08

शुकराना करो हर पल,कोई नेमत हो जैसे

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9 MAR AT 8:15

बतकहियों सी सखियों के सहारे रहिए ,
ज़िंदगी का कुछ बोझ उतारे रहिए ।
हंस के काटिये या रोते बिताइए उम्र ,
जाना तय है जब, रास्ते तो सँवारे रहिए ।।

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13 FEB AT 22:27

भ्रष्ट्तम लोगों ने ईमानदारी पर सबसे दमदार भाषण दिये हैं!

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25 JAN AT 18:34

कितना सफ़र तय कर चुके कितना बाक़ी रहा,
इस गुणा भाग में व्यर्थ वक़्त क्यों है गँवाना …
जो बीता हुआ है तुम पर,वो तो बीत ही चुका,
बाक़ी जो बचा है, उसे जी भर जी कर बिताना।।

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8 DEC 2024 AT 18:27

सुनो मित्र..
तुम आज नहीं खिल पाए?
तो क्या हुआ !
अभी तुम्हारा वक़्त नहीं आया है,
जब आएगा ;
मौसम तुम्हारे भी अनुकूल होगा ,
तुम इंतज़ार करना…

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30 NOV 2024 AT 16:08

जो मिला सके सुर ताल
हर पल ख़ूबसूरत हो और
हर नजारा बा -कमाल!

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26 AUG 2024 AT 12:02

धृतराष्ट्रों की जब भीड़ लगी हो तो सबकी ज़िम्मेदारी है ,
निजी हित से ऊपर उठने की तुम्हारी कितनी तैयारी है?
अधिकारों की मृग मरीचिका क्या कर्तव्यों पर भारी है?
कृष्ण तुम्हारे साथ खड़े हैं पर युद्ध भूमि हे पार्थ तुम्हारी है!

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