अच्छे लगने को कितने ही अच्छे लगे।एक तुम थे कि अच्छे औ सच्चे लगे। -
अच्छे लगने को कितने ही अच्छे लगे।एक तुम थे कि अच्छे औ सच्चे लगे।
-
मुझे नहीं पता कस्तूरी कीमहक कैसी होती होगी।पर जिस वक्त पहली बारतुम्हारी जुल्फों को हटाकरतुम्हारे गर्दन पर लिया था बोसाऔर महसूस की थी तुम्हारी महक ।उस वक्त मुझे ये तो मालूम हो ही गया थातेरी महक से बेहतरकस्तूरी नहीं होती होगी । -
मुझे नहीं पता कस्तूरी कीमहक कैसी होती होगी।पर जिस वक्त पहली बारतुम्हारी जुल्फों को हटाकरतुम्हारे गर्दन पर लिया था बोसाऔर महसूस की थी तुम्हारी महक ।उस वक्त मुझे ये तो मालूम हो ही गया थातेरी महक से बेहतरकस्तूरी नहीं होती होगी ।
जिस तरह नींद नहीं जान पाती बिस्तर की चादर परसलवटों को बनते हुए।उसी तरह मेरी बाहें भी नहींजान पाती ये कब,उसके लिए तकिया बन जाती हैं। -
जिस तरह नींद नहीं जान पाती बिस्तर की चादर परसलवटों को बनते हुए।उसी तरह मेरी बाहें भी नहींजान पाती ये कब,उसके लिए तकिया बन जाती हैं।
मुझे पता नहीं किस किस की,मैं नजर में हूं ।मुझे तो इतना पता है, अभी सफर में हूं । -
मुझे पता नहीं किस किस की,मैं नजर में हूं ।मुझे तो इतना पता है, अभी सफर में हूं ।
जो भी मन में चाहा, सोचा, नव वर्ष तुम्हें सब अता करे ।इस वर्ष न ये आंखें नम हो, नव वर्ष में ऐसा खुदा करे । -
जो भी मन में चाहा, सोचा, नव वर्ष तुम्हें सब अता करे ।इस वर्ष न ये आंखें नम हो, नव वर्ष में ऐसा खुदा करे ।
साल दर साल यूं आते जाते रहें ।दुनिया वाले हमें आजमाते रहें ।पर तेरा साथ हर साल गर यूं मिलेजख्म सहते रहें, मुस्कुराते रहें । -
साल दर साल यूं आते जाते रहें ।दुनिया वाले हमें आजमाते रहें ।पर तेरा साथ हर साल गर यूं मिलेजख्म सहते रहें, मुस्कुराते रहें ।
जिंदगी जीना हमको ही आया न तोजिन्दगी हम पे क्यूं कर रिआयत करे ।हमने हर माह काटा है, बीता नहींतो दिसंबर से ही क्यों शिकायत करें । -
जिंदगी जीना हमको ही आया न तोजिन्दगी हम पे क्यूं कर रिआयत करे ।हमने हर माह काटा है, बीता नहींतो दिसंबर से ही क्यों शिकायत करें ।
जब वक्त मिले, जब बात बने, जब साथ में दिल्ली आएं हम ।तो ख्वाहिश ये है जां कि तुम्हें, मीनाबाजार घुमाएं हम । -
जब वक्त मिले, जब बात बने, जब साथ में दिल्ली आएं हम ।तो ख्वाहिश ये है जां कि तुम्हें, मीनाबाजार घुमाएं हम ।
दुनिया के लिए जीते जो रहो, अपनों का मेला होता है ।शमशान,शिखर,सिंहासन पर तो व्यक्ति अकेला होता है । -
दुनिया के लिए जीते जो रहो, अपनों का मेला होता है ।शमशान,शिखर,सिंहासन पर तो व्यक्ति अकेला होता है ।