तजुर्बा ना तुम्हारा कम हैं ना हमारा,
बात तो बस बेवक्त आनेवाले वक्त और
जिंदगी के सख़्त बर्ताव की हैं।-
ऐ इश्क, हमसे इतना बुरा बर्ताव तुम क्यूँ कर रहे हो,
सच सच बताओ कहीं बुरी संगत मे तो नही पड़ रहे हो।-
"हर किसी से हमेशा अच्छा ही बर्ताव किया करो साहब....
क्योंकि लोग भले ही आपके बर्ताव को भूल जाए,
पर वक़्त हमेशा पाई पाई का हिसाब याद रखता है।"-
वो करते है उनसे मोहब्बत
बस उससे कह नही पाते ,
हो जाए अगर वो दूर ,
तो दर्द सह नहीं पाते ।।
करते है नहीं वो बयां
अपने तकलीफ को
पर उनके बर्ताव हमे
सब कुछ बता जाते।-
बना लो मुझे तुम अपना तुम,
क्या हो गया.....?
जो इतने बेगाने सा बर्ताव कर रहे हो....!-
मैं "हाँ" कहूँ उम्मीद लिए, लोग कहे "ना" उस पल, फिर से,
क्यूँ सोचूँ मेरी बात को उसी तरह मान लिया जाएगा, दिल से,
हर समय समझदार बनूँ, तो ग़म ही आएगा बेशक़ मेरे हिस्से,
एक नकली बर्ताव ओढ़ा हैं मैंने, जीने को दुनियां के असल किस्से।-
सताओ ना ऐसे ए जिंदगी तुझे भी तेरे अपनो पर रहम होगा
चलो हार मानता हुँ, पर सच्चाई के भरम का भी कोई धरम तो होगा
इस तरह तो कांटे न लगा, साथ सबके खड़े दोनो कंधे है
आलस तुझमे गहरा लगे पर सब तो खुदा के नेक बन्दे है
बड़ी गहरी ख़ुशी हुई हमे जब सपनो में नाम जपा हमने
कैसे बताये लकीरो से कितनी बार नाम रटवाया हमने
ऐसे कोई थोड़े हमेशा तुमको बार बार सताने बाहर निकलेगा
ना छुपाओ परछाई ये वक्त भी मनाने तुम्हे बार बार निकलेगा
गौर किया जब हमने तुमपर हर कोई तेरे लिए दुआ मांगता है
कच्ची सड़को और बीहड़ो से निकलना हर कोई नही जानता है
इस कदर सरेआम तो हमसे ऐसा इतना भी अलगाव न कर
भले थोड़ा मुजरिमो सा ही सही पर अपनपनेन सा बर्ताव तो कर
अशर्फ़ियाँ बेचता है हर कोई कभी तो साँझ यह ढलेगी
लाल होता मन सब कहते है ज़िन्दगी है कभी न कभी तो जरूर मिलेगी.!-
तुमने आख़िर कर दिया रूखा सा बर्ताव,
निष्ठुर तेरे कृत्य का गहन हृदय पर घाव.!
सिद्धार्थ मिश्र-