Yogesh Kumar Salvi   (योगेश कुमार सालवी)
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Joined 22 March 2020


Joined 22 March 2020
10 HOURS AGO

मेंरे हिस्से में ये ही लोग आने थे,
मेंरे किस्से में ये ही लोग आने थे,
दुःखी, पीड़ित, कर्जदार, बुझदिल,
बदमिजाज, बददिमाग, बदजुबां, नाकाबिल ।

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10 HOURS AGO

संदेशों का समंदर यहां लबालब था कल तक,
आज व्यस्तता की धूप ने धरातल दिखा दिया ।

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1 AUG AT 23:06

एक मर्द रोज मरता हैं, दुनिया में साबित करते करते,
कि वो भी कुछ हैं।

एक मर्द, अपनाता हैं एक औरत को,
फिर रोज मरता हैं, साबित करते करते,
कि वो भी कोई हैं।

एक मर्द,
आखिर में,
कुछ उपनामों के साथ,
कुछ कथनों के साथ
दफ़्न हो जाता हैं
कि वो तो बस गुस्सैल था,
उसे तो कभी कोई परवाह ही नहीं थी,
उसे परिवार को चलाना तक नहीं आता था,
उसे तो बस बात बात पर टोकना आता था,
उसे क्या पता कि घर के काम कैसे होते हैं ।

एक मर्द रोज मरता हैं, जीने के लिए,
एक मर्द रोज जीता हैं, मरते हुए ।

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28 JUL AT 22:43

हर बार मेरे गुरूर को छेड़ जाते हो,
जैसा हूँ वैसा क्यों नहीं अपनाते हो,
कितना बदला हैं मैंने खुद को, तुम्हारे खातिर,
वो सब, इन नजरों से क्यों नहीं देख पाते हो।

ये गुरूर जो आ गया जिद पर, तो फिर पीछे ना हटेगा,
फिर ताकते रहना लाख, पर ये शख्स वापस ना मिलेगा,
यूं जला कर ना तपाओ कि ये सोना चमक जाए हद से ज्यादा,
और बन जाए बेशकीमती गहना, जिसमें जड़ा हीरा दूजा ही दिखेगा।

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27 JUL AT 15:01

जिन्दगी का बुरा वक्त यही सिखाता है,
कि उस वक्त, अपना या पराया,
कोई भी काम नहीं आता है।
तुम जो भी हो, खुद से हो,
मुसीबतों के समंदर में,
तुम्हें ही डूबना, तुम्हें ही लौट आना होता है,
यहां मदद के लिए कोई भी हाथ नहीं बढ़ाता हैं,
कोई भी साथ नहीं निभाता हैं,
जिन्दगी का बुरा वक्त यही सिखाता है ।

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27 JUL AT 7:12

हमारे साथ को तुमने उन देवताओं सा बता दिया,
जो खुद की कहानियों में कभी सुखी-साथ ना रहे,
इस बात पर ही बताओ फिर हम नाराज क्यों न हो,
जो ये दुआएं तुम्हारी, बददुआओं से भी बदतर लगे ।

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26 JUL AT 21:36

प्रेम के समस्त प्रतीक,
अच्छे दाम्पत्य जीवन के प्रतीक नहीं,
उन्हें अनावश्यक तवज्जो देना बंद करे,
और वास्तविक जीवन को ठीक करे ।

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26 JUL AT 21:22

शहरों में
एहसास नहीं होते हैं
वो दफ़्न होते हैं,
या मृत होते हैं,
कुछ भी हो जाए,
मत मानना,
चाहे बार बार कहे,
आंसू हजार बहे,
वो झूठ ही होगा,
वो दिखावा ही होगा ।





वो शहर जो ना जाने कब से तुम्हारा नीड़ हैं,
वो शहर अब बस एक भयावह सी भीड़ है ।

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24 JUL AT 21:46

वो चॉकलेट्स जिसने थे खाएं,
वो तो लौट वापस भी ना आएं,
जिस संग तुम रात भर जगते आए,
सहसा वो गायब हुए, सहसा वो हुए पराए,
वो किसी और ही के संग हो लिए थे तब,
लग रहा था तुम्हें जब प्यार तुम्हारा सच्चा हैं,
विश्वास तुम्हें था हुआ नहीं, पर यकीन जरा अब टूटा हैं,
ज्यादा ना उलझों, भूलों, जाने दो,
इतना सब सहने को अभी दिल तुम्हारा कच्चा हैं,
जो हुआ, समय रहते हुआ, यही सोच के खुश हो जाओ,
जो होगा वो बेहतर होगा, जो हो चुका, वो भी अच्छा हैं ।

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24 JUL AT 8:59

होंठों को भींचने की लाख कोशिशें तुम्हारी उस पल,
पर आंखों से मुस्कुराना दिखाई दे जाता हैं तुम्हारा ।

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