खामोशियाँ खलती है यें, शोर भी भाता नहीं
बात करें तो किससे करे,
किताबों सा कोई बतियाता नहीं
ना बनाओ ताज मोहब्बत में, फना होने का इरादा भी नहीं
मुझे जीना है सदा के लिए,
लिख दो किसी कविता में कहीं-
अब तेरे ही "नाम" से जानते हैं लोग हमें
हमारा" वजूद "तो "सेहरे"की" खूशबू "में "फना" हो गया-
आखरी दफ़ा समझ ले
जज़्बात इस दिल के
फ़ना कर दे मुझे
मुझसे मिल के...
(see caption)-
झनून का जज्बा और शिदत का ये दौर है,
हो वतन पे फिदा तो बात ही कुछ और है !!-
फलसफा फ़क़त फ़साने का है,
फुरसत में फुरसत से सोचना,
फ़ना ही गर फितरत है तो,
फैसले का फैसला फुरसत में सोचना!-
💕हर दफ़ा मौजों का मुक़्द्दर ही, फ़ना होना क्यों हो,,???
बदले जो साहिल भी कभी फितरतें अपनी, तो कोई
नया इतिहास रचे💕-
एक ख्वाहिश है ;
तेरे इश्क में मुझे फना होने की...
पर कुछ बंदिशें हैं ;
जो मुझे तेरे पास आने नहीं देती...!!-
जिंदगी से कोई वास्ता नहीं मौत से क्या वास्ता
तुम्हारी मोहब्बत में हम तो कबके फ़ना हो गए-
फना न हो तो क्या हो...!
यादें उसकी दीवाना बना देती है।
परवाने को जलने से पहले...
खाक की खुसबू में मिला देती है।।
#यादों_की_कसक-
धङकता हैं दिल तेरे ही
नाम से
धड़कनो के करीब तुझे
देखना चाहतीं हूँ
खाक हो जाना ही
अगर इश्क हैं तो
फना तेरी चाहत में
होना चाहतीं हूँ
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