"मांझे में खोट या उड़ाने वाले की कमी रही होगी साहेब...।
हवा ने खामखां इल्ज़ाम ले लिया पतंग गिराने का...।।"-
✍️ दूर सुदूर तक फैला रेत का समन्... read more
लहरों से लड़ते-लड़ते, जो तूफ़ान पार करने निकले है...।
हवाएं रुख बदलेगी, जो हम दरिया पार करने निकले है...।।-
गुजरते तुम हो साहेब,
वक्त कहां गुजरता है..
बसते कब हो तुम इस दुनियां में,
रुकते कहां हो, ठहरते भी नहीं
बस यहां से गुजर रहे हो
बस राहगीर हो दुनियां के
बड़े रास्ते भी नहीं चल सके
बस पगडंडियों पे ही चलते हो
शंकरे से रास्तों पर पल भर
चल पाते हो, निकल जाते हो
कहां वक्त है तुम्हे सुकून भरा
तुम जमीं को अपना कहते हो
पर तुम बेदखल हो,
न जानें कितने मालिक गए,
जीवन बड़ा कहां है
बस थोड़ा सा बचपन
थोड़ी सी जवानी
और फिर उसी में बसी है सब
ज़िंदगी बनाने की जद्दोजहद
एक दिन रूक जाना है सपनो को...
इसी में सब कुछ करना है
हमे कोनसा सदियों तक जीना है..।।-
भले ही बेजान लाशे बना के तस्वीरें खींच लो साहेब...
कुछ जिस्म मरने के बाद भी आंखें खोल कर जाते है...
#क्या_साहेब-
अब पुराने हो गए थे पत्ते साहेब,
कदीम महत्ता न समझी साखाओं ने...
गिराने की फ़िराक में तूफ़ान खड़े थे,
इल्ज़ाम उड़ाने का लिया हवाओं ने...।
#क्या_साहेब-
Part-1
अनुशीर्षक में पढ़े...
रीयल स्टोरी
जीने की चाह, कभी रूकने नहीं देती...-
सोने के मोहरों से नहीं मिलती मासूम मुस्कुराहटें साहेब...
बस चंद खुशियों को संग लेकर खिलखिला उठती हैं...
#क्या_साहेब-
तेरे स्वेद बूंदों से प्यास बुझाने की तमन्ना लिए बैठे हम...
और तुम बिन नीर की मृगतृष्णा दिखा के चले हो साहेब...
#क्या_साहेब-
तेरी झुकी हुई नजर... ये कसी हुई गिटार की तारे...
जानता हूँ साहेब,अश्क अरमानो के बह गये हैं सारे...
#क्या_साहेब-