चाहतें, सिलसिले, फ़ासले बढ़ गए
तुम मिले तो मिरे हौसले बढ़ गए
काश मैं उड़ सकूँ पंछियों की तरह
ज़िन्दगी कम हुईं घोंसले बढ़ गए
बा-ख़ुदा गर कहूँ ज़ख़्म ही ज़ख़्म हैं
इश्क़ जब कम हुआ दिल-जले बढ़ गए
अब सज़ा के लिए भी जज़ा ही मिले
झूठ ही झूठ हैं दोगले बढ़ गए
दूर वो हो गए पास थे जो कभी
दिल दुखा और फिर सिलसिले बढ़ गए
इश्क़ भी आज कुछ बे-ख़बर हो चला
इसलिए दर्द के फ़ैसले बढ़ गए-
ना आबाद हो तु ज़िन्दगी बिखर जायेंगे
वो लोग जो हमारी बर्बादी की चाह लिए बैठे हैं
ना किया करो नुमाइश अपनी खुशियों
लोग जहर भरी निगाह लिए बैठे हैं।
दूर रहा करो दिल जले आशिकों से
वो दिल में दर्द की सुनामी अथाह लिए बैठे हो-
जब भी किसी और से
बात करे तो
दिल जलता है
पहली मोहब्बत है
इतना तो बनता है....😍-
आशिक पसंद है मुझे
चाहे आशिक़ी ना की हो कभी
अल्फ़ाज़ बह जाते हैं दिलजलों को देख
चाहे दिल्लगी ना की हो कभी
जब भी कोई दिल टूटता है,
छेड़ने लगती है मुझे कलम मेरी
आवाज दर्द से भर जाती है
चाहे मौसिकी ना की हो कभी-
कमबख्त इस दर्द की एक बुरी आदत है कि एक लिखो तो और लिखने का मन करता है।
लेकिन इस मन की संतुष्टि के चर्मोत्कर्ष व परमसुख के चरण में हॄदय ये हमारा जलता है।-
अब छोड़ो भी ये शायरों वाली बनावटी बातें
सच में दिल जलता है न तो कलम नहीं चलती
आँखों ही में गुज़र जाती हैं सारी स्याह सी रातें
खूबसूरत सिंदूरी सी कोई शाम नहीं ढलती-
अपना समझ बैठे थे वे गैर निकले तो क्या
याद आ रहे हैं ज़ख्म कुछ पिछले तो क्या
भरोसा करके शिद्दत पे हमने गलती कर दी
निकल गये वो करीबी रिश्ते छिछले तो क्या
शब की मियाद तो आख़िर ख़त्म होनी ही है
चाँद रात भर निकले ना निकले तो क्या
अब भी वक़्त है तुम्हारे पास कि रोक लो मुझे
मेरे जाने के बाद तेरा दिल पिघले तो क्या
अपना भी नाम होगा आशिक़ी में इक दिन
भले ही गिने जाएं हम दिलजले तो क्या
-
हम दिलजलें है ज़नाब ....….
रातों को सोतें नहीं
रोतें है हम ..... !!!-
मेरी मोहब्बत को तुम ऐसे ना अब तड़पाओ,
मेरी जिंदगी,तुम एक बार अपनी जान के पास तो लौटकर आओ ,
अब कभी नहीं में तुमसे लड़ाई करूंगा,
पर कम से कम एक बार तो मुझसे मिलने चली आओ।-
मोहब्बत में हुए बर्बाद इस क़दर,
किसी के दिल से निकले,
तो किसी के दिल (YQ) में बस गए..!!
मिले जो इतने दिलजले यहाँ पर,
सब के किस्से यहीं पर (YQ) सुने गए..!!-