अक्सर ख़ामोशियों में दर्द छिपा होता हैं..!!
दिलों में दबा हुआ लब्ज छिपा होता हैं..!!
उठ रहे मन के इन लहरों में..!!
कयी कहानियों का किरदार छिपा होता हैं..!!
ख़ुद को समझाकर और बेचैन हो रहा हूँ..!!
जिंदगी से अब थोड़ा बोर हो रहा हूँ..!!
हिम्मत ना जाने अब कहा खो गयीं हैं..!!
चलते हुए सासों को हर रोज गिन रहा हूँ..!!
अक्सर ख़ामोशियों में दर्द छिपा होता हैं..!!
दिलों में दबा हुआ लब्ज छिपा होता हैं..!!-
©Mai koi shayar to nhi hu, bas apne dil ke alf... read more
मन हैं बेचैन, दिल हैं उदास,
ना कोई दवा, ना कोई इलाज..!!
खोज इसकी निरंतर हैं जारी,
सुकून का, ना कोई नामों निसान..!!
बाहर से तो सब खुश हैं,
अन्दर से, टूटा हुआ हैं इंसान..!!
अपनी अपनी कहानियों में,
हर कोई हैं उलझा हुआ..!!
जिंदगी को कोष कर,
कुछ ऐसे जी रहा इंसान..!!
मन हैं बेचैन, दिल हैं उदास,
ना कोई दवा, ना कोई इलाज..!!-
Bechainiyon me khud ko rakhkar,
Dhudh rha sahara mai..!!
Kasti bhi na mil rhi,
Na dudh pa rha kinara mai..!!-
इश्क अगर ज्यादा हो,
तो वो नमकीन सा लगने लगता हैं..!!
पागल पागल कह कर,
हर बार बार इश्क़ पर हसता हैं..!!
कहूँ तो दिल के इश्क का कोई हिसाब नहीं..!!
इश्क दिल का, दिमाग से करने लगता हैं..!!
यू तकतें उनकी राहों को, सुबह का पता नहीं..!!
अश्क रात भर रोते हैं, दिल बेचैन रहता हैं..!!
और वफा की राहों में, वो कब बेवफा बन गए..!!
जो लौटेगा कभी नहीं, उस पर भी आस रहता हैं..!!
इश्क अगर ज्यादा हो,
तो वो नमकीन सा लगने लगता हैं..!!-
हर रोज़ तकते है, हम मोहब्बत को..!!
तेरी ही गलियों से गुज़र कर..!!
कभी खुश हो कर निकलते है..!!
कभी खामोशियों में भटकते हैं..!!
दीदार तेरा मेरे दिल का हाल बताते है..!!
दिल को कभी खुश,तो कभी बेताब बताते है..!!
ये मोहब्बत के रुख से मुझे क्या हो गया हैं..!!
यादों में तुम ही हो, दिल को खाली बताते है..!!
हर रोज़ तकते है, हम मोहब्बत को..!!
तेरी ही गलियों से गुज़र कर..!!
-
इश्क़ सा मासूम कोई चेहरा नहीं..!!
इस चेहरे के भी दर्द बेहिसाब है..!!
हस के कई रोये, कोई रो के हसता हैं..!!
दिल की बेचैनी में, दिल ही तरसता हैं..!!
खामोश हुए पल को, लफ्ज़ नहीं मिलते..!!
इश्क़ हैं बेकार, हर दिल ये कहता हैं..!!
इश्क़ सा मासूम कोई चेहरा नहीं..!!
इस चेहरे के भी दर्द बेहिसाब है..!!-
अक्सर ख़्यालों में तुम ही हो,
ये ख़ता है या प्यार..!!
मुकम्मल नहीं जो इश्क की बातें,
उसमें भी है बाते तेरी हजार..!!
शोर यें दिल का बाहर नहीं आता,
मन को समझाउ मैं बार बार..!!
इश्क़ में लुटे है अब सम्भल नहीं सकते,
तड़प रहेगी अब सालों साल..!!
अक्सर ख़्यालों में तुम ही हो,
ये ख़ता है या प्यार..!!-
Ander se bechain hu mai,
Chota sa ye saar hai apna..!!
Likhne ko to, likh du sab kuch,
Par kalam ka, mizaz hai apna..!!
Likhta hai, par qatra qatra,
Samjhane ka hai iska andaz apna..!!
Tareef karu ya shikayat karu,
Dono me hi hai, baat apna..!!
Ander se bechain hu mai,
Chota sa ye saar hai apna..!!-
Wo Ishq me dube hue hai kab se..!!
Apne jazbaton ko kholkar dikhate nhi..!!
Mohabbat ko kahate hai ruh ki hai..
Shayad isiliye mohabbat ko jatate nhi..!!-
मोहब्बत बिक रहीं, दिलों के बाज़ारों में,
अब कोई सच्चा ख़रीदार कहाँ..!!
धोके बिछे है हर लब्जो की मोहब्बत में,
अब कोई सच्चा कदरदान कहाँ..!!
ये मोहब्बत, इश्क़ अब तो बदल रहे है,
अब मोहब्बत में मरने कोई तैयार कहाँ..!!
ये दिल अब संभल रहा मोहब्बत से,
अब ये मोहब्बत को तैयार कहाँ..!!
मोहब्बत बिक रहींp, दिलों के बाज़ारों में,
अब कोई सच्चा ख़रीदार कहाँ..!!-