भिडी-गाजर-मूली की तरह आज भी काटे जाते है,
ये देश है वीर जवानो का ,अलबेलो का मसतानो का,
फिर भी धर्म के नाम पर यहां लोग बांटे जाते है।
हिन्दू ,सिख ,ईसलाम कह कर गलीयो मे काटे जाते है,
ये देश है व्यापारियो का पैसो के लिए तलवे चाटे जाते है।-
कुँवारे सदा ही सुखी हैं,
विवाहित सदा ही दुखी हैं,
कि तलवे सभी चाटते हैं -
अकेले सफर काटते हैं...
( शेष भाग अनुशीर्षक में पढ़िए)
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अधेड़ हो गई परछाई, अब लाठी सहारे पेट भरा नही जाता
रहबर एड़िया व तलवे,पर एहसास किसी से कहाँ नही जाता-
उजियारे की वंशबेल को
पदलोलुप हो काट रहा।
गाली देते "सूरज" डूबा
"जुगनू" तलवे चाट रहा।।
😢फ़र्क़ है औक़ात का😢
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बात जब हक की होती है तो छीनने के लिए कलेजा चाहिए।
यूं तो तलवे चाटने के लिए जीभ ही काफी है।।-
दो बाते जिंदगी भर याद रखना खुदकी अलग पहेचान बनाते जाओगे..
कोई आपसे किसी बारे मे बोहत बेहतर हो तो उससे जलना भी नही
और
बडी पहेचान बनाने के लिये किसी के पिछे पिछे तलवे चाटते चलना भी नही.-
खरी-खोटी
अक्सर अन्धे ही क्यों है रेवड़ियां बांटते ?
आप उनकेे बड़े ख़ास में शुमार रहोगें ,
बस एक बार उनके तलवे क्यों नही चाँटते ।।-
वो दांत तोड़ देंगे हमारे तो हम मसुड़ों से काटेंगे,,
ज़ुल्म सह लेंगे सारे,ज़ालिमों के तलवे न चाटेंगे,,-
साप बेरोजगार हो गये अब इंसान काटने लगे
कुत्ते क्या करे तल्वे अब ... इंसान चाटने लगे-