बचपन में नारें लगाए हमनें,
कि महात्मा गाँधी अमर रहे ,
दौर-ए-हालात बयाँ कर रहा है,
कि महात्मा गाँधी मर रहे ,
ख़ुद को कितना शर्मिंदा रखा है ,
कि सिर्फ नोटों में जिंदा रखा है ,
गाँधी जी को नोटों में नही,
अपने जेहन में जिंदा रखों ,
ज़िंदा रखों क्योंकि इससे,
तुम्हारे अंदर मर रहा इंसान
जिंदा रहेगा , वरना हालात
ये है कि अब इंसानियत भी
दफन होने वाली है.........— % &-
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●Next Generation Business Owner ●
●Entrepreneu... read more
प्रकृति
मैं अक्सर लौटता हूँ , मेरे गाँव की और ,
शहर के कांक्रीट के जंगल की आबोहवा ,
मेरी साँसे तोड़ देती है जब , तब ,
यंत्रो का कोलाहल , रास नही आता ,
गाँव की अमराई में आज भी ,
कुँक उठाती कोयल , हूँक उठाते पपीहे ,
राग सुनाते मोर , कलरव करते खंजन,
मेरे मन की बेचैनी को हरते है ,
शहर का पानी भी आजकल जहर हो गया हैं,
गाँव के कुँए , ताल , तलैया आज भी इतराते है ,
सज्जनता नही छोड़ते वे , आज भी ,
क्या मानुष क्या अमानुष सबका गला तर करते है ,
शहर का धुँआ जब मेरे गले तक भर आता है ,
तब में लौटता हूँ अपने गाँव की और ,
गाँव का बूढ़ा बरगद अपनी लाठी के सहारे खड़ा है ,
लेकिन अपनी साँसे छोड़ना नही भूलता अब भी ,
मैं जी भर के भर लेता हूँ प्राणवायु अपने अंदर ,
फिर थोड़ा सा जी कर , थोड़ा मरने चल पड़ता हूँ शहर की और ।
( विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में)-
मेरा प्रेम
कलकल नाद सा बहता वो ,
मेरे अंतरंग में ,
कौतुक सा निहारता मैं ,
ऊर उमंग में ,
स्वछंद सा रहता वो ,
अपने ही ढंग में ,
पीत-पराग सा वो
जीवन बसन्त में ,
जीवन संगीत सा वो,
राग तरंग में ,
कस्तूरी सा खोजता मै ,
पर वो है अंग अंग में।-
ये अपनी ज़िद पे अड़े हुए लोग ,
ये बेढंगे खड़े हुए लोग ,
बात बरगद की करते है ,
ये गमले में पड़े हुए लोग।।-
श्रीकृष्ण हमें सिखातें है...
पैदा होते ही जीवन संघर्ष शुरू हो जाएगा...
किसी भी उम्र में जिम्मेदारी उठाना पड़ जाएगी...
जीवन में दर्शन और सुदर्शन दोनों महत्वपूर्ण है ,
और कब किसका प्रयोग करना है ये उससे अधिक महत्वपूर्ण है ।
योजना में सफल होने के लिए दूरदृष्टि और निकटदृष्टि दोनों जरूरी है ।
घर ही हर ईंट में विवाद हो सकता है , मगर घर की नींव का पत्थर मजबूती से जुड़ा रहे तो आधार बना रहता है।
देश और समाज की खुशहाली के लिए शांति जरूरी है , और शांति स्थापित करने के लिए कभी युद्ध तो समझौते दोंनो करना ही पड़ते है।
नारी का सम्मान और हक़ पहले-पहल जरूरी है वरना महाभारत होने में देर नही लगती ।
पारिवारिक मोह उतना हो जितने में निबाह हो सके , जरूरत से ज्यादा मोह भी कष्ट का कारण बनता है।
जीवन है तो मरण भी होगा लेकिन जीवन का कारण जानना जरूरी है , मरण तो अंतिम समय की घड़ी है।-
यू तो हमदर्दों की फौज खड़ी रहती है अपने लिए ,
मगर किसी के कांधे कमजोर है तो किसी के बाजू ।-
" मित्र ऐसा हो कि उसका चित्र सदैव आपके हृदयस्थल में विद्यमान रहें ! "
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" अगर हौसला पहाड़ जैसा हो तो पत्थर जैसी मुश्किलें भी आपको धूल सी नज़र आएगी ! "
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