तुझे खोने का गम अब इतना ज्यादा नहीं,
तू ख्वाहिश थी, मेरी जरूरत नहीं!-
तलब नही है मुझे उम्रभर कोई भी गुलाब की तुझसे,
रहें सदा मेरे गाल ग़ुलाबी तुम कुछ ऐसा कह देना मुझसे!-
जिसे हम अपनी जान समझा करते थे
ऐसे जख्म दे गया वो
जिस पर कभी वो ही मरहम लगाया करते थे
आज ऐसे वक़्त छोड़ गया वो
जब जरूरत से ज्यादा हम उसका साथ चाहते थे-
ज़िंदगी की जुस्तजू में तू ज़िंदगी बन जा,
ढूंढ मत अब रोशनी, ख़ुद रोशनी बन जा!
रोशनी में रोशनी का क्या सबब, ऐ दोस्त,
जब अंधेरी रात आए, तू चांदनी बन जा!
कशमकश में हैं गर तो तू निकल इससे,
तब तू मेरी जिंदगी की जरूरत बन जा!
हर तरफ़ चौराहों पे भटकती तुम क्यों हो,
तुमको अपनी सी लगे, तू वो गली बन जा!
कुंओं में जीते हुए सदियां कई गुजर गई,
क़ैद से बाहर निकल, तू धड़कन बन जा!
गर शराफ़त में नहीं हो पानी का कोई ढंग,
बादलों की तर्ज़ पर तू आवारगी बन जा!
बहुत जी लिया तुमको ख़्वाबों में ऐ 'राज' __Mr Kashish
बस..... एक बार तो तू हकीकत बन जा!-
मुझे जरूरत नहीं
बनाये थे जो ख्वाब में हमनें, इस प्यार की तो वो मूरत नहीं।
गिला है तुमको ये निशानी, ताजमहल सी खूबसूरत नहीं।
मरती थी न मुझपे तुम भी, फिर ये बदला हुआ रंग क्यूँ
इजहार कहीं इकरार कहीं, ऐसे प्यार की हमें हसरत नहीं।
खर्च किया मैंनें खुद को तुझपे, पर तुम्हे गंवारा ना हुआ
ना हो कद्र जहाँ हमदम का, फिर वो असली मोहब्बत नहीं।
वादा करके जिंदगी साथ बिताने का, अब यूँ मुकर रही हो
नींव में खोखलें वादे हों गर, फिर तो मजबूत वो इमारत नहीं।
नसीब में ही नहीं तू शायद, मांगा तो था दिन रात खुदा से
अब नहीं सजदा किसी दर पे, तू नहीं तो तेरी इबादत नहीं।
तुम्हें कोई और पसंद है, जाओ खुश रहना उसके साथ
तुझे अब मेरी जरूरत नहीं, तो मुझे तेरी जरूरत नहीं।-
तेरी कमी खलती हर रोज़ है...
फ़िर कईयों को तूने रख रखा था तेरी कमियाँ दूर करने को याद हो आता है !!-
वो साक़ी भी किसी ज़रूरत का मारा है,
खोल दरवाज़े, आग पार नीर तलाश रहा है ।।-
शौक जिन्दगी के अब जरुरतो में ढल गये
शायद बचपन से निकल हम बड़े हो गये-