गुज़र जाएंगे मेरे जनाजे तेरी चौखट से,
मसरूफ़ रहना तुम फिर भी अपनी उल्फत में।-
अपने ख्वाबों के जनाजे पे आयी तो जाना ,
मेरे जैसे कई थे जो रात भर सोये नहीं ।-
ज़िन्दगी तो अपने ही कदमों पर चलती हैं
औरों के सहारे तो जनाजें उठा करते हैं...!!-
कारवां गुजरता है तेरी यादों का,
और जनाजे हमारे ख्वाहिशों के उठते है
चंद्रशेखर आवटे-
मेरे जीवन का उद्देश्य विफल हो गया !
मेरा आज और कल कल हो गया !!
मेरे सपनों के ताने -बाने तार -तार हो गये,
बिन नीर मेरा बाग मरूस्थल हो गया !!
आज उनका है कल भी उनका होगा ?
घर उनका है घरबार भी उनका होगा !!
वो जब भी जन्नत की सैर पर निकलेगे,
शहर के जनाजे मे बाबुल भी उनका होगा!!
-ketki
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क्या क्या इल्जाम दूँ इस खुदगर्ज जमाने को
खुद उठाए जा रहा हूँ खुद के ही जनाजे को...
वो न उस तरफ के थे,ना ही इस तरफ के थे
जो बेच कर आ गये ताल्लुकों के तकाजे को...
जोङने की ऎवज में जाने क्या क्या टूटा रहा?
मशवरे सबने दिए,मेरा खैरख्वाह दिखाने को...
आंधियाँ आई तो सबने अपने अपने घर लिए
अकेले झेला हैं मैने हवाओं के शोर शराबे को...
ये किस अपनेपन की बात करते हो "जयन्त"
खामोशी से देखा हैं मैंने नेकियों के खराबे को...-
"जो हमारे जनाजे में आने को तैनात थे,
वो अब हमारे जलसे में आने को बेताब हैं..."
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एक लाश में जान फूंकी
और फिर उसे अधमरा कर गया
वह मेरे जनाजे को यूं कंधा देकर गया-
हमसे शिकायतों की आदत को तुम भूल जाओगे ।
जब खबर पहुंचेगी मेरी मौत की तुम बहुत पछताओगे ।
चाहकर भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पाओगे ।
सच कहता हूं जनाजे पर सबसे पहले तुम ही रोने आओगे ।
करेंगे नाकाम कोशिश तेरे अपने तुझे रोकने की
लेकिन तुम अपने आप को मेरे जिस्म से बार-बार गले लगाओगे ।
बताओ तब तुम हमसे कैसे शिकायत कर पाओगे ।-