Prakhar P. C. Upadhyay   (शान)
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Joined 22 March 2018


Joined 22 March 2018

ईश्वर से दुआएं मांगकर होती है मेरी सुबह की शुरुआत
मैं और मेरे प्रियजन रहें हंसते खिलखिलाते और आबाद

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मेरी बातें गहरी दिल में ठहरी यह मेरा वहम था
उनकी तो रूह ही थी बहरी, उन्हें बड़ा अहम था

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काफी है तेरे जिस्म की रौशनी मेरे लिए
जो करना है तेरे साथ वो इतना ही चाहे

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मेरी थकान जानम तुम दूर कर देना
बदले में मुझे रूहानी सुकून दे देना

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दिल जिनके लिए नतमस्तक हो बार बार करे सलाम
वो हैं भारत के बच्चे बूढ़े और जवान के प्यारे कलाम

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जब से मुझे साथ तेरा प्यारा मिला है

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क्या करूं ये कम होने का नाम नहीं लेती तेरी तिश्नगी
मेरी मोहब्बत सच्ची है चाहे तू मानती रहे इसे दिल्लगी

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YESTERDAY AT 9:29


शुरू तुझसे मस्त बातों का दौर

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YESTERDAY AT 9:26

सुबह महकी हुई सी है तेरी वजह से
मन खुशनुमा है तुझसे हुई सुलह से

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14 OCT AT 23:21

आजकल सुबह बड़ी जल्दी ही नैन चक्षु खुल जाते हैं
फिर सुबह के सच्चे सपने खुली आंखों से देखे जाते हैं

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