गेसुओं में मेरे तेरे प्यार का संदल महकता है।
मैं हवाओं सी एक लड़की हूँ, मुझसे जंगल महकता है।
चाँदनी की मेरी पैरहन, किरणों के मेरे गहने
भरा फूलों से जो तूने, मेरा आँचल लहकता है।
भर दिया सितारों से, तूने मेरी माँग में अफशां
तेरे लम्स की हिद्दत से, ये कोरा बदन दहकता है।
मैं राधा भी, मैं मीरा भी, और तेरी रुक्मिनी भी हूँ
तेरे हर रूप में लेकिन, तू बस कान्हा ही रहता है।
-सारिका-
बिखेर दो लबों से मेरे इन गेसुओं को,
आज फिर क़त्ल-ए-आम हो जाने दो।
जागी हूँ मुद्दतों से मैं रात-रात भर,
लिपट कर बाजूओं से आज सो जाने दो।
बग़ैर तेरे दहशत भरा था ये हर मन्ज़र,
तुम पास हो, इन लम्हों में खो जाने दो।
रोई है ये जिन्दगी ता - जिन्दगी मेरी,
आओ क़रीब, अज़ल को मुस्कुराने दो।
कई दफ़ा निकले हैं आँसू तेरी यादों में,
ख़ुशी के इन आँसूओं में डूब जाने दो।-
मेरे इन गेसुओं ने भी बिखरना पसंद किया
सँवारने के लिए तुम्हारी उँगलियाँ जो नहीं है...-
बगावत भी परछाई करती है मुझे छू जाने को
सुरमईआँखों के पहरे निकल कर खो जाने को
ज़िद है कुमुदिनी के गेसुओं में गूँथ के पहरावे को
"कुछ तो है" एहसास बनके रगों में उतर जाने को-
करती हूँ महसूस तुम्हें
जब ये हवाएं मेरे बिखरे हुए
गेसुओं को मुखड़े से हटाती हैं !
तुम भी करना मुझे महसूस
अपनी साँसों में...
ये हवाएं मुझे छूकर खुद को
पत्तों टहनियों से बचाकर
तुम तक जाती हैं !-
नज़ाकत तो इतनी थी उस चेहरे में,
हाथ उठता भी था तो गेसुओं को कान के पीछे करने के लिए..!-
चेहरे पर गेसुओं की लटें हैं
आँखों में प्यार बेशुमार है
उनसे मिलने को दिल मेरा
कितना ही तो बेकरार है-
माना कि जादुई शाम के जलवों ने उन्मादित चाहत की
चद्दर बिछा रखी है हमदोनों की उर धरा पर
युँ इतना करीब आके उरों की आग को न भडकाओ रहने
दो प्रीत की प्रवाल को नर्मी की संदूक में ही रहने दो।
मेरी गोरी त्वचा की परत पर न फ़ेरो अपनी
ऊँगलियों की ललक चिंगारी को हल्की ही सही हवा न दो।
न बहको यूँ मेरी गेसूओं की खुशबू को
साँसों में भरकर प्रणय का गान अरभी ज़रा मद्धम गाओ।
बहक जाते हैं एहसास मेरे तिश्रगी को थोड़ा काबू में रखो,
हाँ माना कि मंजूर है हमें भी आपकी आगोश की गर्मी।
पर डरती हूँ वल्लाह तुम्हारी तलब को चूमकर ख्वाहिशों
की ललक हमें हृद पार न ले जाए कहीं।
तबाह कर देगी दिलों की बसाई बस्ती को बुरी है बहुत
बुरी रवायतें
ज़माने की दो प्रेमियों की नज़दीकीरयाँ कहाँ भाती हैं।
दबे एहसास को दिल की अंजुमन में दबे ही रहने दो रहने दो,
चर्चे हमारे इश्क के सरेआम न हो जाए कहीं।-
गज़ब ढायेगा
गेसुओं के बीच मुस्कुराता चाँद
हमको मालूम था गज़ब ढायेगा
@मीना गुलियानी
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यूँ गेसुओं को खुला ना छोड़ा करो
क्या सुबह ही रात करने का इरादा है-