Talat Khan ⭐   (Shaira Arshi Khan)
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Joined 19 May 2020


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Joined 19 May 2020
18 SEP AT 13:58

मैंने हर चीज को चख कर देखा।
सच से कड़ूवा यहाँ कुछ नहीं है।।

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12 SEP AT 22:13

घुमा किया मैं मंज़िल की तलाश में।
फिरता रहा दर-बा-दर।
रही न कोई ख्वाहिश,सुकूँ मिला मुझे।
जब आया खुदा के घर।।

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9 SEP AT 22:07

मत रखो अब मुझ से ये नामी रिश्ता।
जब मेरी तुम्हें कोई परवाह नहीं है।।
और कब तक, मैं ही संभालू ये डोर।
साफ़ दिख रहा,तुझे मेरी चाह नहीं है।।

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30 AUG AT 1:32

दुनिया को कब जाने थे।
तुमसे मिल कर जब बिछड़े,
अपनों के रंग पहचाने थे।।

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28 AUG AT 17:32

तुम हो जब से आये मेरी जिंदगी में, ये खूबसूरत हो गयी है।
मैं रहूँ किसी भी सफ़र में योर कोट, तेरी जरूरत हो गई है।।

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25 AUG AT 23:01

काश कोई कभी मुझे भी समझता।
हम खुद से यूँ समझौता नहीं करते।।

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14 AUG AT 23:09

वो मुझे चाहतें है दर्द में दवा के जैसे।
और मैं उसे इश्क़ में हवा मान बैठी।।

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4 AUG AT 23:24

यूँ ही ये नजाकत, अदा, गुरूर आसानी से कहाँ आते होंगे।
जब चलते होगें आप तो कदमों में दिल बिछ जाते होंगे ।।

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29 JUL AT 19:18

मैं तेरी बाहों में आऊँ और सिमट जाऊँ।
हाय!ये ख्वाहिश मेरी, कही मर न जाऊँ।।

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26 JUL AT 14:06

झटक कर जुल्फ़ अपनी क्यों दीवाने का होश उड़ाती हो।
बड़ी शरीर हो तुम, शरारत करने से कहाँ बाज आती हो।।

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