आधुनिकता का डंका पीटने वाला समाज आज भी लाचार है, अपनी सोच से ; जहां फिल्मों में अश्लीलता सरेआम दिखाई जा रही है, और वहीं प्रेम कविताएं आज भी छुपकर लिखी जा रही है...!!
दुनिया के तमाम रिश्ते आपसे एक दिन मुँह मोड़ सकते है , सारे बनावटी हो सकते है, मगर मां की मोहब्बत हमेशा यूं ही चमकती रहेगी; उसकी पाकीज़गी उतनी है, जितनी फूलों पर ठहरी ओस की बूंदों की है...!!
एक पुरुष के कंधे ; जिन पर बहाई जा सकती है, अवसाद की पीड़ा , असफलता की निराशा , जिंदगी के तमाम दु:ख दर्द ,
असंख्य गमों को सहेजने की ताकत रखते है, एक पुरुष के कंधे , सूकून और शांति का कभी भी रिक्त न होने वाला स्रोत है,, जिनसे दुनिया के किसी भी जोखिम भरे कृत्य को करने के लिए हौसला बटोरा जा सकता है...!!
सुनो! तुम मेरे बाद कभी भी पतझड़ मत हो जाना ; तुम बने रहना हमेशा वो बसंत के बाग जिनमें दो पल भी कोई रुके तो सूकून महसूस हो, और हमेशा एक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सके...!!