Shabdveni   (Meenakshi Shukla)
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Joined 13 September 2019


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18 APR AT 22:48

क़िताब: भावनाएं बहती हैं (रोके नहीं, सही दिशा दें...)
लेखिका: मंजू मोहिल
समीक्षा: मीनाक्षी शुक्ला

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17 JUN 2023 AT 15:04

Pyari Masha...

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27 MAY 2023 AT 16:51

सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है

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14 MAY 2023 AT 16:55

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4 DEC 2022 AT 9:12

Live on YouTube!

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19 NOV 2022 AT 22:43

प्यारी सी हँसी उसकी
बातों में महक है
कुछ मेरे जैसी
मेरी प्यारी सी सखि है...

चुलबुला उनका किरदार
उन्मुक्त व्यवहार है
मेरे मन के रास्ते
उतरता सखि का हर भाव है...

लिखना, उनके लेखन का
लेख नहीं है
कागज़ पर गहराता
सखि का सजता रुआब है...

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19 NOV 2022 AT 18:21

"ये आदमी जो है ना
कछुए की खोल की तरह होते है,
ऊपर से सख्त और अन्दर नर्म होते हैं।"

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7 NOV 2022 AT 21:26

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लेखन की बात करूं तो yq से ही शुरुआत हुई। यहां बहुत ही बेहतरीन लोग मिले। जो अब भी जुड़े हुए हैं। पहले सब बहुत ही अच्छा था। फिर धीरे-धीरे चीजें बदलने लगी। और, ये बदलाव यकीनन सही नहीं था। कई सारी ऐसी स्थिति हुई जो आम दिनचर्या को प्रभावित करने लगी।सच कहूं तो मैं यहां से बहुत पहले ही जा चुकी हूं।

इसलिए, दुःख कम है। आप हमसे मिल सकते हैं @Shabdveni पर किसी भी अन्य प्लेटफॉर्म पर, अगर मैं हुई तो... धन्यवाद आप सभी का! 😊🙏

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24 OCT 2022 AT 22:00

घर कहता है,
हर त्योहार पर आ जाया करो
जेब में चवन्नी खनकती है
और, त्योहार टके पर खिलता है..

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18 OCT 2022 AT 14:39

ख़ूब बनते हैं, बिगड़ते हैं
कभी इत्र सी महक
तो कभी पेशानी पर बोझिल बूंदे
झिलमिलाते है
ये चेहरे हैं जनाब!
रिश्तों पर सबसे अधिक असर करते हैं

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