Sarika Saxena   (Sarika Saxena)
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Joined 7 January 2017


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Joined 7 January 2017
26 MAR 2020 AT 21:44

ओक में भर कर अपनी ख़्वाहिशों को,
परख रही थी एक एक करके
कि फिसल गयी मुट्ठी में बंद रेत सी वो
और उड़ गयीं आसमान में तितलियों सी
सच है,ख्वाहिशें भी कभी पूरी हुआ करती हैं!

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22 NOV 2019 AT 19:31

सूरज का दहकता गोला
फिर डूब गया उफ़क के समुंदर में
कल सवेरे फिर से निखर के
उसे लौट के फिर आना है।
गिला क्या करना बेवजह ज़िंदगी से
यूँ ही हर रात के बाद फिर
सुबह को तो आना है।

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24 AUG 2019 AT 19:45

सुरमयी शाम के ये रंग सुनहले
अरगनी पर बादलों के यूँ है फैले
रंगरेज की उस तूलिका से
रच गया है चित्र ऐसा,
रंग गये सब एक ही रंग से रूपहले

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12 JUL 2017 AT 10:49

पीते होंगे लोग चाय
वक़्त बेवक्त,
हम तो अपनी कॉफ़ी
का ही हर वक़्त दम भरते हैं,
वो चाय के दीवाने
कॉफ़ी की मुहब्बत
क्या समझेंगे।

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23 JUN 2017 AT 22:52

दहलीज़ पर दस्तक दे रही है रौनक़े ईद,
देखना है कि अब ईद का चाँद कब निकले।

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17 JUN 2017 AT 16:27

ओढ़ लूँ तुम्हें आँचल सा,
लपेट लूँ प्यार को तुम्हारे
अपने इर्द गिर्द;
चस्पाँ कर लूँ
तुम्हारे होठों को
अपनी पेशानी पे,
तुम्हारी महक का इतर
मल लूँ अपनी कलाइयों पे
तुम्हारी आवाज़ की खनक की
पहन लूँ चूड़ियाँ
तुम्हारे नग़मों की गुनगुन से
खनकते नपुर
पहन लूँ अपने पैरों में
मैं ना रहूँ मैं,
बस तुम हो जाऊँ,
इश्क़ करूँ ख़ुद से ही
और ख़ुद पर ही मिट जाऊँ।

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8 JUN 2017 AT 10:15


प्रेम तो सभी करते हैं
कभी क्षणिक,
तो कभी तात्कालिक;
पर
प्रेम में साथ साथ प्रौढ़ होना,
एक दूसरे के साथ गिरकर सम्भलना,
हृदय की बात बिना कहे समझना,
एक दूसरे का अभिभावक बन जाना
और संतति भी
यही तो प्रेम की प्राप्ति है...
प्रेम की पराकाष्ठा भी
और अतिरेक भी!

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8 MAY 2017 AT 7:45

ऐ साथी चलो मिलकर लगता तो है ये एक सपना
बनाएँ हम एक ऐसा जहाँ पर है ये कई लोगों का अपना
जहाँ न हो कोई दीवारें। चलो मिलकर इसे सच कर लें
मिले बस प्यार ही वहाँ। रहें मिलकर के सब वहाँ।

प्रेम ही हो सबका मज़हब। जहाँ औरत की हो इज़्ज़त
नहीं हो भाषा की मीनारें। जहाँ रिश्तों में हो लज्जत
करें सब एक दूजे पे भरोसा जहाँ चैन हो दिलों में
बहें अमन की हवायें जहाँ। नहीं नफ़रत हो वहाँ।

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2 MAY 2017 AT 20:56

फ़क़त काफ़ी नहीं है ख़ुशशक्ल होना,
ख़ुशखुल्क भी हों तो कोई बात बने।
मुरझा जाते हैं वक़्त के साथ ख़ूबसूरत फूल,
गर इत्र बन के महक जायें तो कोई बात बने।

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1 MAY 2017 AT 13:12

संग जब हो तू पिया, तो है फिर कैसी अगन
मधुमास सी हो जाय तेरे साथ मई की तपन।
प्रेम में डूबे हुए हैं संग धरती और गगन,
मैं हूँ तेरी बावरी और तू मेरा साँवरा सजन।
कभी दे जाये सुकून और कभी दे जाये चुभन
पिया कैसी है तेरे हाँथों की ये चंचल छुअन।
सूरज के जैसा है तू और जलाती है तेरी ये तपन,
बन जाऊँ तुझसे मिल के मैं एक प्यासी किरन।

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