jitender Singh VO   (जितेन्द्र सिंह "वो")
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मैं हूं प्यार से और प्यार है मुझसे
जैसे तू है मुझसे और मैं हूं तुझसे
Joined 17 April 2018


मैं हूं प्यार से और प्यार है मुझसे
जैसे तू है मुझसे और मैं हूं तुझसे
Joined 17 April 2018
17 MAY AT 7:52

पेश ए खिदमत है ये फूल उस शख्स को
पसंद करती हैं ये आँखें जिसके अक्स को

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17 MAY AT 7:24

दूरियों ने नजदीकियों को और पास ला दिया है
उसे और भी ज्यादा याद करने का एहसास ला दिया है
क़रार था पास होने पर मगर अब बेकरार कर दिया है
बस झलक मिल जाए उसकी
बेताबी का कुछ इस कदर दौर ला दिया है

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22 MAR AT 8:50

तुम्हें देखा तो लगा
तुम्हें बहुत देखा
मगर बिछड़ने पर लगा
तुम्हें बहुत कम देखा

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12 MAR AT 12:22

उसकी आंखें हिरणी जैसी हैं
चाल शेरनी जैसी है
उसे देखा जाए उतना कम है
उसकी खूबसूरती चांद जैसी है

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10 MAR AT 13:57

कुछ चेहरे ग़ज़ल हुआ करते हैं
अंधेरे में आफताब हुआ करते हैं
दिल चाहता है उन्हें देखते ही रहें
वो इस कदर लाजवाब हुआ करते हैं

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2 MAR AT 19:35

लोग रखते हैं हर रोजा खुदा के नाम का
और हमने रखा है हर रोजा आपके नाम का
लोग चाहते हैं ईद पर दीदार खुदा का
और एक हम हैं जो चाहते हैं दीदार आपका

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21 FEB AT 9:57

हम उस शख्स से मुलाकात का इंतजार करते हैं
ख्वाबों, ख्यालों और तस्वीरों में ही दीदार करते हैं
कभी-कभी दिल चाहता है उससे मिल लिया जाए
मगर कदम चलते हैं रुकते हैं, चलकर फिर रुकते हैं
बस यहि सिलसिला हम बार बार हर बार करते हैं

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19 FEB AT 9:55

इस खूबसूरत सुबह में
एक खूबसूरत शख्स को
खूबसूरत भरा सलाम करते हैं
वो करेंगे स्वीकार इसे
खूबसूरत सी मुस्कान के साथ
बस यही कामना करते हैं

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15 FEB AT 19:12

जिए जा रहे हैं तुम्हारे दर्शन के बिना ये नैन
तुम्हें देखे बिना ये हैं बहुत बेचैन
गए हैं जब से आप हमे यूँ छोड़कर तन्हा
तब से हमे न सुकूं है और न ही चैन

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15 FEB AT 19:09

बस जिए जा रहे हैं जिंदगी
न कोई सुकूं है न कोई करार है
ऐसा लगता है तन्हा हैं उतने की
अब न सब्र है न कोई इंतजार है

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