गद्दारी भी हम ईमानदारी से करते हैं |
सच को स्वीकार कर , इस दुनियां से
आग के रूप में तेज़ाब से
अपने दुश्मनों पर जलते हैं |
- Sahani baleshwar
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कैसी वो माता कैसी वो नारी होगी ।
जो कैकेयी भरत सा बेटा हारी होगी ।
ये लड़की इश्क़ में भी मुनाफ़ा देखती है
देखना बड़ी होकर जरुर कारोबारी होगी ।
चूमकर उसके गालों को फिर चाय लेना
दोस्त ये उसके गालों से गद्दारी होगी ।
हाले बीमार जानने आज वो आई है
देखना देखकर उसको तबीयत भारी होगी ।
'अजनबी' समझदार होते हुए भी जान न पाया
यार तेरी मोहब्बत में भी दुनियादारी होगी ।
सागर 'अजनबी'-
अपना तो एक ही फंडा है.....
यारो से गद्दारी नहीं....
और गद्दारों से दोस्ती नहीं....
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इश्क़ में कभी उधारी न करना
कभी घमंड की सवारी न करना
चाहे जैसी भी संकट की स्थिति हो
देश से कभी गद्दारी न करना-
वफ़ादारी और गद्दारी किसी खून में नही,
अपितु सामने वाले के सोच में होती है।-
वो जो करता था फक्र कभी खुद की खुद्दारी पर..!
आज आती है उसे हया खुद की गद्दारी पर..!!
वो जो चलता था कभी घोड़ों की सवारी पर..!
आज आती है उसे शर्म खुद की लाचारी पर..!!
था कैद जिसके सीने में कभी दारिया भी..!
आज दौड़ता है वो दो कतरा पानी बनकर..!!
जिसके कदमों में कैद थी कभी मौजे भी..!
आज वो मिलने को तरसता है खड़ा साहिल पर..!!-
दर्द को मान, सम्मान दे
फिर दर्द से यारी कर
सबसे कर ले संधि तू
बुजदिली से मक्कारी कर!
देने वाले क्या देंगे तुझे
सब बस झूठा दिलासा है
औरों का बन संगी तू
पर ख़ुद से ना गद्दारी कर!-
"मेरे शब्द मुझसे गद्दारी करने लगे हैं,
मेरे चाहने वालों को दूर कर रहे हैं..."-
"दुनियादारी"
कौन निभाता है दिल से रिश्ते यहां,
अब तो बस दुनियादारी चलती है,
रिश्ते हों, नाते हों, या हो सरकार..
हर जगह अब तो गद्दारी चलती है,
त्याग दिया मोह हमने भी अब,
इस मतलब परस्ती ज़माने से..
ऐसा कोई क्षेत्र ही नही मिलता,
जहां सिर्फ वफ़ादारी चलती है.!-