मुझे कविता लिखने के बाद शायरी को प्रशंसा मिली
दीवाना-वार चाँद से आगे निकल गए
तेरे अंजुमन के बाद दिल कहीं ठहरा न भी
आप पछ्ताइयेगा होंटों को सी के देखिए
अक्सर घुटन के बाद हंगामे जाग उठते हैं
उस धूप की ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई
हमें तर्क-ए-वतन के बा'द क़द्र-ए-वतन हुई
उस सच को बताने मे फासी लगने का खतरा तो है
लेकिन सवाल ये है कि दार-ओ-रसन के बा'द
इंसान की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहान नहीं
दो गज़ कफ़न के बाद दो गज़ ज़मीं भी चाहिए
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