15 NOV 2021 AT 11:30

छुरी के नोक से जख्मों पे वो मरहम लगाते है
वो ज़ख्म भी खुद ही देते हैं
ये कैसा प्यार है उनका कोई तो हमको बताओ
अत्याचारी हैं या दिलबर वो जो याद आता है

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15 NOV 2021 AT 11:08

मेरे जीवन में जब भी कोई कठिनाई आती हैं
तो मेरे मां-पापा मेरे लिए रक्षा कवच बन जाते है

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14 NOV 2021 AT 23:30

सफर वही तक जहाँ तक तुम हो
नज़र वही तक जहाँ तक तुम हो
वैसे तो गुलशन में हज़ारों फूल खिलतें हैं मगर
खुशबू वही तक जहाँ तक तुम हो

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14 NOV 2021 AT 22:12

तुम मुंह फेर के यूं " तमाज़त "
से गुज़र जाती हो
तुम्हे रोक तो नहीं सकता मगर
मेरी सांसे ही ठहर जाती है

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14 NOV 2021 AT 22:04

मिलने को तो हर शख्स " हक़ीकत " से मिला..
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला..

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14 NOV 2021 AT 21:45

शर्मा जी अपनी बेटी को आर्मी अफसर की
पोशाक में देखकर अंग अंग फूले नहीं समा रहे थे

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14 NOV 2021 AT 12:58

मेरा सबसे हसीन ख़्वाब साकार हो जाएगा
तुम्हे जब मुझसे प्यार बेशुमार हो जाएगा

मैंने तुमसे शुरू में तो सिर्फ दोस्ती ही की थी
क्या पता था कि यार ही दिलदार हो जाएगा

तुम्हे बस एक ही बार नज़र भर के देखा था
पता नही था कि दिल यूँ बेकरार हो जाएगा

तुम खुद को एक बार मेरी नज़र से देखना
उस दिन तुम्हे खुद से ही प्यार हो जाएगा

तो मेरी डायरी को तुम पढ़ना कभी वक़्त मिले
उस दिन मेरी हर बात पे ऐतबार हो जाएगा

उस दिन ' सूर्या ' का लिखना सफल होगा
जब तुम्हारा इज़हार पर इकरार हो जायेगा

©️shivkumar barman

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7 NOV 2021 AT 22:27

एक अजब सी दुनिया देखा करता था
दिन में भी मैं सपना देखा करता था 
 एक ख्यालाबाद था मेरे दिल में भी 
ख़ुद को मैं शहजादा देखा करता था 
 
हर लम्हे सब्ज़ परी का उड़न खटोला
अपनी जानिब आता देखा करता था 
 चिड़ियों के रूप बदलकर उड़ जाता था
जंगल, सहरा, दरिया देखा करता था 
 
इक-इक कंकर भी हीरे जैसा लगता था
हर उस मिट्टी में सोना देखा करता था 
उस प्यासा रेगिस्तानो में कोई नहीं था
हर सहरा में दरिया देखा करता था

हर जानिब हरियाली मे ख़ुशहाली थी
उन हर चेहरे को हँसता देखा करता था 
बचपन के दिन कितने अच्छे होते हैं 
सब कुछ ही मैं अच्छा देखा करता था

आँख खुली तो सारे मंज़र ग़ायब हैं
बंद आँखों से क्या-क्या देखा करता था

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6 NOV 2021 AT 12:07

ये रिश्ता है हंसी मजाक का , हंसी वाली मुस्कान और गम वाले आंसू का
छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाने का , और फिर खुद ही मान जाने का



बहन वो जो हर आंसू छुपा दे भाई की खुशी के लिए
और भाई वो जो हर हद पार कर दे बहन की खुशी के लिए

बहन वो जो है राखी पर अपने प्यार को
धागे में संजोकर भाई की कलाई पर बांध दें
और भाई वो जो बहन की तकलीफ को
देखकर दुनिया का हर बंधन तोड़ दे

चिड़ने का और चिड़ाने का यह रिश्ता है
शरारतों के पिटारो का कहीं और अनकही बातों का
यह रिश्ता है बचपन की यादों का यह रिश्ता है
यह रिश्ता है प्यार की बगिया में विश्वास के फूल का यह रिश्ता है

जिसकी पंखुड़ी हर आंसू पी जाती है
जिसको देखकर चेहरे पर सिर्फ खुशी रह जाती है
जिसकी खुशबू जहन में और जिसकी तस्वीर यादों में
हमेशा के लिए कैद हो जाती है

एक भाई का उसकी बहन से रिश्ता है
मेरी राखी का तेरी कलाई से यह रिश्ता है
भाई दूज के तिलक से रिश्ता है ,भाई और बहन का यह रिश्ता है

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4 NOV 2021 AT 12:56

पहली किरण सुबह की निकल रही हैं ,
अंधियारा मिट रोशनी मुस्कुरा रही हैं ।

फिजाओं में खुशबू देखो छा रही हैं ,
पंछीयों की सुरेली सरगम आ रही हैं ।

ये पेड़ पौधे, आसमां ज़मीं झूम रही हैं ,
दीपोत्सव में हर दिशा खुशी छा रही हैं ।

आंखों में ना आये अश्क किसी के ,
खुशी के गीत जिंदगी हंस के गा रही हैं ।

अपना ना कोई पराया, धरा पे सबका बसेरा ,
किसी से अब कैसी दुश्मनी फ़िजा ये बता रही हैं।

जिंदगी के ज़ख्मों को कुदरत भर रही हैं,
फिर क्यूं तुम ज़ख्मों को को नासूर बना रहे हो ।

बन के सच्चा मित सभी का जीत लो चीत सभी का,
छोड़ो नफरतें,गले लगावों यही दिल से आवाज़ आ रही हैं।

छोटा ना कोई बड़ा,खुदा के बंदे सब हैं यहां,
नेक बंदे सभी बन रहें हैं,
ये देखकर 'ज़ाकिर' तेरी भी आंखें मुस्कुरा रही हैं।

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