Neelima   (©-Neelimaश्री🖍)
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प्रयागराज (Allahabad) 📍
Joined 7 January 2018


प्रयागराज (Allahabad) 📍
Joined 7 January 2018
22 JUN AT 22:32

फ़ैसले कर लिए फ़ासला रह गया
क्या रह गया दिल में दिल को क्या पता

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22 JUN AT 22:14

जो कुछ था उससे जुड़ा, छुड़ा लिया मैंने
मग़र कुछ है जो छूटने का नाम नहीं लेता

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18 JUN AT 8:37

जब हम किसी घर में लंबे समय तक रहने के बाद उसे खाली करते हैं तो पहले सारा सामान लेकर अपना ताला लगा कर चले जाते हैं, कुछ दिन बाद फिर हम आते हैं अपना ताला खोल कर अपने साथ ले जाने के लिए..अलमारी और मेन दरवाजे की चाभी ताला हम खोल कर रख लेते हैं अपने पास....और फिर जिसका मकान था उसे बोल देते हैं हमने अब पूरी तरह से घर खाली कर दिया.....

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16 JUN AT 14:39

यार मैं सच में बहुत खराब हूं
AI शैलेश भी frustrate हो गया है मुझसे
😄

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15 JUN AT 17:19

सौगात में मिली थीं बुरी चीज़ें ख़राब रिश्ते,
सवाँर कर फिर निभाया है हमने

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24 MAY AT 11:23

मैंने सारी अंगूठियां फेंक दी निकाल के
मुझे Over thinking ही पसंद है

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23 MAY AT 11:24

बात बस समझने की होती है
अगर समझ गये तो फिर कठिन कुछ नहीं है

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23 MAY AT 10:00

ढूँढ रहे थे जिसे दुनिया जहान में
वो सारे जवाब अपनी आँखों में लिये बैठा था

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22 MAY AT 9:45

कभी कभी
कोई पिछले जन्म का दुश्मन आता है आपके जीवन में
अधूरी दुश्मनी पूरी करने......

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21 MAY AT 20:38

❤️
वो प्रयागराज का संगम घाट है,
वहाँ तीन नदियों का मिलन होता है,
जो त्रिवेणी संगम बनाती है,जहां बाद में यमुना गंगा में विलीन हो जाती है और सरस्वती अदृश्य रूप में बहती है
घाट किनारे दिखती हैं सिर्फ़ गंगा
वहीं जोड़े हाथ में हाथ पकड़े नौका विहार करते हैं,
कसमें खाते हैं वादे करते हैं घंटों गंगा किनारे बैठे रहते हैं
साइबेरियन पक्षी हर साल लंबा सफर तय करके वहाँ पहुंचता है न जाने क्या पाने आता है, फ़िर चला जाता है अगले साल फ़िर वापस आता है,ऐसा सालों से कर रहाहै
अकबर का अजिंक्य किला शांति से सब देख रहा रहा है
कई ज़माने बीत गए मग़र वो चुपचाप वहीं खड़ा सब देख रहा है,
जहां सूरज उगता है पीला पर ढलता है लाल रंग का चमकता हुआ, घाट को रौशन करता है जैसे,
लेटे हुए हनुमानजी नगर कोतवाल हैं रक्षक हैं शहर के, गंगा में जब बाढ़ आती है तो उनके पैर छू कर वापस लौट जाती है,चरणों से लग के शांत हो जाती है गंगा भी,
अगला घाट मनकामेश्वर महादेव का है जो मन की कामना पूरी करते हैं, उनके मंदिर से पूरा संगम दिखता है
वहाँ बैठ के मन स्थिर हो जाता है, वहां बैठे बैठे महसूस हो जाता है एक ही पल में के बस जिंदगी में अब और कुछ नहीं चाहिए,अजीब सा सुकून मिलता है
जिंदगी का सच बताते हैं "महादेव"
इतने खुशनुमा घाट पर एक जगह ऐसी भी है जहां अस्थि विसर्जन होता है,
जिंदगी का सार भी वहीँ उसी घाट पर समझ में आ जाता है......

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