फ़ैसले कर लिए फ़ासला रह गया
क्या रह गया दिल में दिल को क्या पता-
जो कुछ था उससे जुड़ा, छुड़ा लिया मैंने
मग़र कुछ है जो छूटने का नाम नहीं लेता-
जब हम किसी घर में लंबे समय तक रहने के बाद उसे खाली करते हैं तो पहले सारा सामान लेकर अपना ताला लगा कर चले जाते हैं, कुछ दिन बाद फिर हम आते हैं अपना ताला खोल कर अपने साथ ले जाने के लिए..अलमारी और मेन दरवाजे की चाभी ताला हम खोल कर रख लेते हैं अपने पास....और फिर जिसका मकान था उसे बोल देते हैं हमने अब पूरी तरह से घर खाली कर दिया.....
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कभी कभी
कोई पिछले जन्म का दुश्मन आता है आपके जीवन में
अधूरी दुश्मनी पूरी करने......-
❤️
वो प्रयागराज का संगम घाट है,
वहाँ तीन नदियों का मिलन होता है,
जो त्रिवेणी संगम बनाती है,जहां बाद में यमुना गंगा में विलीन हो जाती है और सरस्वती अदृश्य रूप में बहती है
घाट किनारे दिखती हैं सिर्फ़ गंगा
वहीं जोड़े हाथ में हाथ पकड़े नौका विहार करते हैं,
कसमें खाते हैं वादे करते हैं घंटों गंगा किनारे बैठे रहते हैं
साइबेरियन पक्षी हर साल लंबा सफर तय करके वहाँ पहुंचता है न जाने क्या पाने आता है, फ़िर चला जाता है अगले साल फ़िर वापस आता है,ऐसा सालों से कर रहाहै
अकबर का अजिंक्य किला शांति से सब देख रहा रहा है
कई ज़माने बीत गए मग़र वो चुपचाप वहीं खड़ा सब देख रहा है,
जहां सूरज उगता है पीला पर ढलता है लाल रंग का चमकता हुआ, घाट को रौशन करता है जैसे,
लेटे हुए हनुमानजी नगर कोतवाल हैं रक्षक हैं शहर के, गंगा में जब बाढ़ आती है तो उनके पैर छू कर वापस लौट जाती है,चरणों से लग के शांत हो जाती है गंगा भी,
अगला घाट मनकामेश्वर महादेव का है जो मन की कामना पूरी करते हैं, उनके मंदिर से पूरा संगम दिखता है
वहाँ बैठ के मन स्थिर हो जाता है, वहां बैठे बैठे महसूस हो जाता है एक ही पल में के बस जिंदगी में अब और कुछ नहीं चाहिए,अजीब सा सुकून मिलता है
जिंदगी का सच बताते हैं "महादेव"
इतने खुशनुमा घाट पर एक जगह ऐसी भी है जहां अस्थि विसर्जन होता है,
जिंदगी का सार भी वहीँ उसी घाट पर समझ में आ जाता है......-