प्यार-दोस्ती, रिश्ते-नाते ये सब बस जरूरत को पूरा करने का एक जरिया है
एक जरिया जो फ़ायदे और घाटे के बीच लटकती रहती है
और वो चाहें कोई भी हो...हम या आप ,सब कहीं न कहीं उन जरियों पर लटके हुए झूलते रहते है
सदियों से ये रीत चली आ रही है...अभी भी जारी है और उम्मीद है आगे भी जारी रहेगी।-
पर जो भी लिखा ग़म लिखा😊
#medicalaspirant
Iamsatya110 ( insta id )
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हम एक आश में रात गुजारते है, की
कब सुबह हो और पंक्षियों का तमाशा देखे-
किसी ने हाथ मरोड़ने का हुनर ना सीखा,
सबने बस छोड़ देनी है
हमने भी किसी दिन उक्ता के ये जमीं ओढ़ लेनी है-
गर्दिशे जब उरूज़ पे हो तो ज़िन्दगी अज़ाब देती है
और दोस्त मुनाफ़िक़ हो तो दुश्मनी आराम देती है..-
दिलकशी के आलम से बे कस हर बार निकले
मतलब की यार मतलब के सब यार निकले..-
मेरे वजूद में इतना अंधियारा है कि
लोग मुझको फ़क्त उजाले में ही चराग़ समझते है-
लोग मिलते है फिर रूठ जाते है
पत्तो की तरह टहनियों से टूट जाते है
पहर दो पहर तो साथ चलते है सभी
अँधेरी रातों में कुछ हाथ छूट जाते है
मुझसे है कि इस सदमे से उभरा नही जाता
और लोग है कि यादों के पिंजरे से छूट जाते है
नाम दीवारों पे लिख जिसको पूजता था मैं कभी
लोग जिक्र उसका कर आज महफ़िल लूट जाते है
आँधी ज़लज़ले तो कुदरत के बहाने है हुजूर
घर को टूटना ही है टूट जाते है-
मौसम खुद ब खुद बतला रहे है कि शहर का मिज़ाज अच्छा है
म आनी मेरे यार के लबों पे जो मुस्कान है वो सच्चा है
तुम्हारे चेहरे पे बिखरे हुए झुल्फों में उलझे हुए मेरा ख़्याल अच्छा है
लानत हो मुझ जैसे शख्स पर जिसका इस वबा के साल में भी हाल अच्छा है-
पूजता गर पत्थर को भी तो आज ख़ुदा होता
मुझको यहाँ होने से ना होना कहीं बेहतर होता-