दरिंदी की ये बस्ती है, यहाँ ईमान बड़ी ही सस्ती है
प्यार मोहब्बत रिश्ते नाते यहाँ कौड़ियों के भाव बिकती है।-
कौड़ियों में बिकने लगी है अब तो इज़्ज़त जनाब
एक कौड़ी भी गई तो समझो इज़्ज़त उतर गई।-
कौड़ी में थी, बिकी ज़िन्दगी, मौत मिली पर लाख की
कैसे बोलें ज़िंदा होना, मर जाने से बेहतर था!-
बाज़ार में रिश्तों के तेरा दाम क्या है ए 'ममता'
नोटों के जमाने में तू क्यूं कौड़ियां लिए घूमती है।
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खेल तो खेल होता है जनाब
कौड़ी से नहीं संगी से खेलता हूँ..
तुम बड़े हो, दिलों से खेलते होंगे..
मैं दिलदार हूँ, दिलों में खेलता हूँ..-
सुनते हैं कि तुम्हारी दी हुई मोह्हबत का कर्ज़ है हमपे...
आओ अभी तुम्हारे दिए इश्क़ का हिसाब लगा देतें हैं...
अरे!!!!!
कुल मिलाके ये तो बस दो कौड़ी की ही बात है...
लो अभी सारा कर्ज़ चुका देते हैं..।
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जिसे कौड़ी देने से हम कतराते थे..
Actually,
"8नवंबर2016"
को, उसी बाबा (भिखारी) की "हाय" लगी थी..
😂😂😂😂-
कौड़ी_ कौड़ी में बिके लोग,, घुटनो में टिके लोग
बरगद को चुनोती देते है,,गमलो में उगे लोग_____-
महंगे 'लिबास' में भी
'बास'आने लगती है
जब दो कौड़ी का आदमी
उसमें 'वास' करता हो
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आज का विचार :-
अक्सर ज़िन्दगी में दो कौड़ी के लोग ही आकर दस करोड़ी अनुभव दे जाते है।
(सौदा महंगा नही है)-