उसकी कातिलाना मासुमियत का भी क्या कहना ,
यूं सरेआम कत्ल कर जाती हैं,हर बार मेरी ख्वाहिशों का ।।-
एक तो सुबह से ही तापमान गर्म था उसकी मौजूदगी
ने कमबख्त माहौल ही क़ातिलाना कर दिया-
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
मिलन की सरजमीं से बिछड़न की फरमाइसो तक
बेहिसाब मोहब्बत से धोखे की गहराईयों तक छू गया हर पहलू हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना,
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
मिले हुए इश्क़ की मोहब्बत से बिके हुए इश्क़ की तन्हाइयो तक बेहिसाब ख्वाब और तन्हाइयों की गहराइयों तक छू गया हर पहलू,हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
रूह की गर्दिशों से जिस्म की नुमाइशों तक बेहिसाब खुशी से दर्द की गहराइयों तक छू गया है हर पहलू हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
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हर बार वो जानशीं अपनी क़ातिलाना आँखों से मुझे मार डालती हैं...
और कर के कत्ल आकर बड़े करीब से फिर वो मेरे चेहरे पर नजर डालती हैं...-
कितनी क़ातिलाना आँखें हैं उसकी...??
अच्छा हुआ, ज़ो चश्में के पीछे ढँक गई...!!
वरना, कितने ओर को घायल करती...??-
गहराई से घायल हुए हैं हम भी ,उसके दीदार ए हुस्न पर ...
बड़ी कातिलाना कहर ढाती हैं ,निगाहें उसकी हमारे दिल पर ...-
बिस्तर की सलवटें बयान कर रही रात का अफ़साना हैं,
सुर्ख आँखे, दबी साँसे, झुकी नज़र सब शायराना है!!
उन गुलाब की पंखुड़ियों की महक अब भी है कमरे में,
लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं बातें, इशारे सब कातिलाना है!
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दबे पाँव आया जो इश्क़ ,गुनाह कर गया
उसे क्या पता था कत्ल कर देगा,सुकून-ए-चैन का **-
पहन लो अगर झुमके तुम, झुमका तुमपर हर आम जच जाएगा
आँखों में लगाया न करो काजल तुम सनम, खुदा कसम कोहराम मच जाएगा
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