Soul laminator🇮🇳🙏   (दिव्यलक्ष्मी चंद्रा 🇮🇳)
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Joined 30 November 2018


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Joined 30 November 2018
9 FEB 2022 AT 17:02

जब जब इतिहास लिखा जाएगा तब तब इंकलाब लिखा जाएगा ,
हर जंग हर आजादी हर आंदोलन का तब जवाब लिखा जाएगा।

जब-जब सियासत लिखी जाएगी तब तब शहादत लिखी जाएगी।
कितनी लाशों पर रखी गई है यह कुर्सियां उसकी भी गवाहत लिखी जाएगी।

जब-जब गर्व लिखा जाएगा तब तब शर्म भी लिखा जाएगा ,
जब जब लक्ष्मण के गीत गाएंगे तब तब विभीषण भी याद आएगा।

जब-जब धर्मयुद्ध ललकारेगा तब तब राम, कृष्ण, अर्जुन शास्त्र उठाएगा,
जब-जब मानवता सामने आएगी तब तब सहयोग सत्य अहिंसा पूजा जाएगा।

जब-जब बात उठेगी परंपरा और संस्कारों की,
तब तब गीत गुंजेगी भारत विश्व धरोहर धारी की।
जब-जब जयकारे गूंजेगे वीरों के साहस के,
तब तब आंखें छलकेंगी उन वीरों के महतारी की।

मैं कोई वीर नहीं हूं लेकिन हिफाजत में वतन के,
मुझसे भी तलवार उठेगी।
मैं ना धर्मभेदी हूं ना मानवता का विरोधी हूं,
पर जब जब ये कलम चलेगी तब तब बस "वतन" लिखेंगी।

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8 FEB 2022 AT 17:26

जमाने का हम से अफसाना न पूछो ,
मोहब्बत में है ,मगर पैमाना न पूछो ।
हम आशिक हैं जिद पर आए तो दुनिया मिटा देंगे,
बस टूटे हुए दिल का, हमसे हरजाना ना पूछो।

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6 FEB 2022 AT 21:03

दोस्ती हो या आशिकी ,
सबने दगा किया है हमसे ।
हम किसके किस्से सुनाए,
यहां किसने वफा किया है हमसे?

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5 FEB 2022 AT 16:56

खैर इतना तो सीख ही गए हैं
अपने जीवन से,
कि चिंता करने से बेहतर है
ईश्वर का चिंतन किया जाए।

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4 FEB 2022 AT 11:37

मुझसे पूछे दुनिया- तू ऐसे क्यों रहती है?
मैं पूछूं दुनिया से - तू कौन है जो यह कहती है?

मेरे रूप से श्रृंगार से, क्यों चिढ़ती है मेरे व्यवहार से,
मैं जो हूं वह हूं तेरे सामने,
तू देख मुझे इस आर से या देख मुझे उस पार से।

खैर ये जो दुनिया के नुक्स है ,उससे ज्यादा मेरे हुक्स हैं
मैं अपने दिल की रानी हूं ,मुझको मुझसे ही इश्क है।

मुझसे पूछे दुनिया- तू ऐसे कैसे कपड़े पहनती है ?
मैं पूछूं दुनिया से- तू क्यूं मुझे इतना देखती है?

मेरी ब्रेस्ट की साइज से लेकर, जींस की फिटिंग टाइट से
क्यों इतनी दिक्कत है तुमको मेरी लाइफ स्टाइल से।

मेरी बात से मेरे ख्याल से , मेरी सीधी टेढ़ी चाल से
क्यों इतना फर्क पड़ता है तुमको, मेरे गोरे काले गाल से।

मुझसे पूछे दुनिया- क्यों इतनी अकड़ में रहती हो?
मैं पूछूं दुनिया से - तुम क्यों मुझसे इतना चिढ़ती हो?

मैं ना छलिया हूं ना छल करती हूं,
छमिया हूं बेफिक्री मैं ,छम छम छम छम करती हूं।
मशवरों की चादर तेरी मैं, ओढ़ू कभी ना ऑडर से,
जो होता है मूड मेरा , मैं हो साइलेंट वही बस करती हूं।

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3 FEB 2022 AT 17:32

कुछ तकलीफें ऐसे दुखती है ज़हन में
जैसे आग लगी हो सारे बदन में‌।।

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2 FEB 2022 AT 9:39

.........

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1 FEB 2022 AT 17:19

Mohbbat hume behishab thi..
Han bas , tumhare hishab se na thi...

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31 JAN 2022 AT 11:58

जिसने संघर्ष से जीवन काटा है ,
उसी की रोचक कहानी है,
जिसने जिया है जीवन आराम का ,
वो तो बस बहता पानी है।

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27 JAN 2022 AT 21:33

कुछ खास शौक पहले भी ना थे हमारे गुरु,
एक तुम ही नए-नए आए थे और तुम भी चले गए।

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