वो आग है! उसे ये तनख्वाह मत दे
अरे पागल! तूफान को पंखा मत दे
परवाज की खामोशी तक दिखती है
वो बाज़ है! उसे अब मचान मत दे
दे, अगर दे सकता है तो ये जान दे
वरना जाने दे उसे अब जबान मत दे
हर कत्ल में कातिल ही शातिर नही
अब नादान मत बन ये सुराग मत दे
कुछ है जेहन में तो क्या और क्यूं है
जिंदगी है तेरी दूजे को लगाम मत दे
सफर है मंजिल है बस तू इरादा कर
खुद पे लगा बाजी किसी पे शान मत दे
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