दुनिया में सब बेहतरीन है सब परफेक्ट है सिवाय हमारी सोच हमारी समझ के....
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इक दिलखुश लड़की।(सच में?)🤷🏽♀️
इक चुटकी भर लेखिका।🤌🏽
प्रेम;महादेव... read more
फूलों को खिलते देखा है जीवन को झड़ते देखा है
लाख कहूं कुछ नहीं देखा पर पत्थर को पिघलते देखा है।
नमी नहीं आंखों में अब पर बेबसपन को बहते देखा है
लगा सुर्ख हो गए सारे अरमां फिर सच्चाई घुलते देखा है
धूल भरी थी जिन आंखों में उनको भी खुलते देखा है
लोगों को डरते देखा है खुद को तिल तिल मरते देखा है
सपनो को जलते देखा है जिंदा सांसों को थमते देखा है
देखा है सारी दुनिया को अपनो को भी बदलते देखा है।-
गले पर रख दे अधर अपने और पिघल जाने दे मुझे,
तू ख्वाब है साकी हकीकत बन और संवर जाने दे मुझे।-
अगर सीधी बात करें तो अब तक की जिंदगी जिल्लत भरी रही सिर्फ दिखावे का प्यार मिला परिवार भी स्वार्थ के लिए साथ रहा...न सच्चा प्रेम मिला न मनपसंद जीवन जीने को मिला...न खुद की पसंद का पढ़ पाए न आपने पसंद की जॉब कर पाए न दुनिया घूमने की चाहत को पूरा कर सकी....अपनी पसंद का पहनना,खाना, उठना-बैठना कुछ भी नहीं कर सकी जिंदगी दूसरों के इशारों पर नाचती रही प्रेमिल शोषण होता रहा और जिंदगी के मायने समझ ही नहीं आए बस दूसरों को खुश करने जी जद्दोहद में आधी जिन्दगी गुजर गई बची जिंदगी भी लोगों के इर्द गिर्द घूमेगी....जीवन जीने की इच्छा लेशमात्र बची है कुछेक तार थे जो मन को सुकून देते थे अब वो भी साथ नहीं...अब कुछ साथ है तो पछतावा और दिखावे की जिंदगी।
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अगर तुम खुद के लिए कुछ नहीं कर सकती तो इस पितृसत्तात्मक सत्ता में कोई पुरुष तुम्हारे लिए कुछ करने नहीं आएगा.….सोचो अगर कोई पुरुष किसी स्त्री के लिए कुछ कर ही रहा होता तो आज पुरुषों की सत्ता होती क्या?
मैं दोष किसी स्त्री या पुरुषों को नहीं दे रही बस इतना समझने और समझाने की कोशिश कर रही कि अगर तुम्हारे लिए कोई कुछ कर सकता है तो वो हो तुम और सिर्फ तुम।-
मन इतना जिद्दी है
कि सिर्फ इसी बात पर
दिन में हजार दफा रो सकता है
कि तुम मुझे क्यों नहीं मिल सकते।-