आंखो ने अपनी पुतलियों से पिछली कुछ संवेदनाओं की कसक बांध रखी है....और कसम खाई है इस बार तुम्हें जकड़ रखने की अपने गुरुत्व से,परंतु जीवन के क्रम में इन्होंने ये भी सीखा है की संतुलन स्थापित करने हेतू आवागमन अपरिहार्य है!
हां.....तुमसे इश्क है...और तुम्हारे ख्याली पुलाव सुन उस पर प्रतिक्रिया करतीं मेरी नरम सी आहें पा झुक जातीं ये आंखे प्रेम के दोनो पक्षों हेतु तत्पर भी..... उफ्फ इससे भी खूबसूरत है क्या कुछ?
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