पक्षी हो, ऊँचे उड़ें,
आगे बढ़े, हो बड़े,
एक पल विश्राम भी,
थाम नहीं! थाम नहीं! थाम नहीं!
सत्यपथ! सत्यपथ! सत्यपथ !
तू ना ठहरेगा कभी,
तू ना बहकेगा कभी,
तू ना सिमटेगा कभी,
उड़ान भर! उड़ान भर! उड़ान भर!
सत्यपथ! सत्यपथ! सत्यपथ !
यह महान राष्ट्र है,
कह रहा शास्त्र है,
श्रम हो सख्त से, जन जन के रक्त से,
हो कर्म युद्ध! हो कर्म युद्ध! हो कर्म युद्ध!
सत्यपथ! सत्यपथ! सत्यपथ!-
साहस बना अब सारथी, धैर्य रथ पर चढ़ चला।
संघर्ष से सुसज्जित, मैं कर्म पथ पर बढ़ चला।-
भाग्य भरोसे मत रहिए क्योंकि मिलता उसी को है जिसमें कुछ कर गुजरने का जुनून होता है। जिसके पास आज दो वक्त की रोटी नहीं है,इसे हम उसका भाग्य कहेंगे लेकिन कल भी उसके पास वो दो वक्त की
रोटी न हो तो इसे हम उसकी गलती कहेंगे।खुद की काबिलियत पर यकीन रखकर निरंतर कर्म पथ पर अग्रसर रहिए।।❤️🔥-
चल छोड़
हालातों की मजबूरियाँ
वादों की वो बेड़ियाँ
बस कर्म पथ ही अविनाश है
ये मोह तो सबका सर्वनाश है
कायरों सा दुबकर बैठ मत
ना हार से कभी काँप तू
आरंभ है कठिन तो क्या
है पुरुषार्थ का भी लाल तू
चढ़ा प्रत्यंचा गर लक्षय हो
मीन नयन भेदन सम,
ना मन मे हो अंधकार
न विश्वास भी कम
है रक्त मे प्रवाह अगर जो
तो हवा से भी टकरायेगा
जीत भी तेरे नतमस्तक होगी
हर ओर परचम लेहरायेगा।
हर ओर परचम लेहरायेगा।
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कुछ नहीं तो न सही,
नहीं आज तो कल सही!
वक़्त सदा एक सा कहाँ,
अभी खाली हाथ तो-
कल होगा भरा भी!
शिक़स्त से तू ले सबक,
चल हमेशा कर्मपथ!
गलतियों को दोहराना न,
कठिनाइयों से घबरा मत!
सदा सतत कर्मरत कर्मरत…
कर्मरत॥
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मुझे कभी रुका हुआ पानी मत बनाना
जिंदगी मुझे बस एक जगह मत ठहराना ।
रुके हुए पानी में पैदा होती है बीमारियां
मुझे किसी से जलन ,ईर्ष्या चुगली मत करवाना ।
बहता हुआ पानी बनूं अपनी जिंदगानी में
ऊर्जा ,प्रवाह ,नयापन रहें हमेशा जिंदगानी में ।
हमें जिंदगी के कर्मपथ पर ऐसे बढ़ाना
बना पाएं हम सभी के दिलो में जगह ऐसे जिंदगी में राह बनाना ।-
न जानू मैं धर्म
न जानू मै जातपात
जानू तो बस कर्म
होता है सबसे प्रधान
गर अच्छे नही तुम्हारे कर्म
तो क्या पाओगे फिर तुम फल
इंसान है हम इंसानियत गर नही हममे
तो फिर किस बात का करे हम घंमड़-
जैसा कर्म करोगे वैसा फल ही मिलेगा,
पीपर की टहनियों पर कमल नही खिलेगा,
जैसा बीच बोवोगे वैसा ही काटोगे,
नीम की टहनियों पर आम नही पाओगे,
कर्म जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे,
बुरा कर्म करके तुम बहुत ही पछताओगे,
पाप कर्म करोगे तो चेहरा छुपाओगे,
अच्छे कर्म करोगे तो चेहरा दिखाओगे,
राम और रावण मे बस इतना ही अन्तर था,
राम अच्छाईयों के लिए तो रावण बुराइयों के लिए जाना जाता था,
कर्मों से होती है सबकी पहचान,
एक नाम के होते है हजारों इन्सान।
अच्छे कर्मों से ही पहचाने गये कई इन्सान,
कही अटल तो कही हुई अब्दुल कलाम,
अच्छा कर्म करोगे तो अच्छा ही फल मिलेगा,
बुरे काम का तो बुरा ही नतीजा मिलेगा।
कर्म ही धर्म की पहचान बताता है,
अधर्म का तो विनाश हो जाता है,
कर्म से ही पाण्डवों और कौरवों की थी पहचान,
धर्म की हुई थी विजय अधर्म का हुआ विनाश।
जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा,
पीपरर की टहनियों पर कमल नही खिलेगा।
कर्म की परिभाषा क्या है ये गीता मे मिलेगा,
जो गीता पढेगा वो कर्म को समझेगा।
कर्मों की कुशलता ही योग कहलाया है,
जो गीता को पढेगा वो कर्म को समझ पायेगा।
नाम कैसा है ये मायने नही रखता है,
कर्म कैसा ये सब कुछ मायने रखता है
कर्म जैसा करोगे वैसा ही फलमिलेगा,
पीपर की टहनियों पर कमल नही खिलेगा।
(Amresh giri)-
निराशा का तू त्याग कर,
विश्वास की तू राह पकड़।
कर्म को अपना हथियार बना
और
अंतिम सांस तक तू लड़॥
हार मिले या जीत मिले,
तुझे करना क्या?।
मकसद तेरा सच्चा है जो,
तू कर्म पथ को ही अपना,
तू कर्म पथ को ही अपना॥
(14-12-2018)-
जीत लेंगे साँसों की जंग जो रब की मुझपर मेहरबानी रही
मुझे मौत देने में सबसे ज्यादा अपनों की ही कारस्तानी रही।
(सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में प्रणयरत है)-