तू जहां भी है
भगवान तुझे खूब लंबी उम्र दे
आज पास नहीं तू मेरे तो क्या
फिर किसी जन्म में साथ होगा
तू मेरे-
बस उन्हीं ख्वाहिशों में कही हैं
हम गुम से...
इसलिए कलम थाम अपन... read more
सब ने दुख दिया है मुझे
भर भर कर
गैरों से क्या अपनों ने किया है
वार मुझ पर हरपल
अच्छा है
जो टूट गया यकीन का भ्रम
अब नहीं करेंगे किसी पर
आंख बंद करके भरोसा हम-
पता है....
कुछ नहीं है पास मेरे
ना कोई अपना
ना कोई पराया
बस में और मेरी तन्हाई
है साथ एक दूसरे के
बनकर परछाई-
मेरे दुख के घड़ी में
वह मेरे अपनों से भी बढ़कर
साथ खड़े हैं मेरे
उनके प्यार भरोसा के बल पर
हर दुख कष्ट से लड़ने की हिम्मत
मिलती है मुझे
उनके इस अपनेपन के लिए
शुक्रिया लफ्ज़ भी छोटे पड़ जाएंगे
बस यूंही मेरे साथ रहे हमेशा
वो मेरे बारी अपने-
इतना कुछ है दिल में पर किसी से कह नहीं रहे हैं
चुपचाप सारे दर्द सहे चले जा रहे हैं
अपनों के होते हुए भी तन्हा जीए जा रहे हैं
भरोसा टूट गया है अब तो इस कदर
अपनों से भी लगता है अब तो डर
पर क्या करें किससे कहें अपने दिल की बात
लिखना तो चाहते हैं मगर लिख नहीं पा रहे हैं
अपने दर्द को लफ्जों में बयां नहीं कर पा रहे हैं-
दुनिया का क्या है देखती हैं तमाशा हंस-हंसकर
कभी बढ़कर हाथ बढ़ाती नहीं मदद का वह किसी का
रखती है दुनिया नजर गैरों पर वह ऐसे
पर खुद के गिरेबान पर झांकती नहीं वह कभी-
इस तरह घुट घुट कर जीना
अपनों के साथ होकर भी
तन्हा तन्हा रहना
खून के आंसू पीकर
जीने के लिए मजबूर होना
जो पीठ पीछे करते हैं वार
उन्ही के साथ एक छत के
नीचे रहना
हमें नहीं मंजूर
रोज खुद को तिल तिल मारना
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ना काटो पेड़
हरा भरा वातावरण को
ना करो बर्बाद
पेड़ लगाओ तुम
समझ कर अपना औलाद
करो पुण्य काम-
सब समझ गए हम
तुम दे नहीं सकते साथ मेरा
सातों जन्म
झूठा था हर वादा तुम्हारा
झूठी थी हर कसमें तुम्हारी
बेमतलब समझ लिया था तुम्हें
साथी हम जन्म जन्म का
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