माँ तेरी ममता का सागर,
नित बहता रहता धारा सा।
तेरी मुस्कान की चमक में,
सूरज भी लगता प्यारा सा।
तूने सिखाया चलना हमको,
पहली बोली बोलना भी।
तेरे आँचल की ठंडी छाँव,
देती जीवन का बल भी।
तेरे बिना ये जीवन सूना,
तेरे संग हर पल अपना।
तेरे आशीष की छाया में,
हर कठिनाई लगे सपना।
माँ तू है तो घर में सुख है,
माँ तू है तो मन में प्रकाश।
तेरी गोदी है सबसे प्यारी,
तेरे चरणों में है आकाश।
पर अब नहीं कुछ भी
मेरे पास.
क्योंकि तू चली गई है
छोड़कर मुझे
भगवान के पास !-
बस उन्हीं ख्वाहिशों में कही हैं
हम गुम से...
इसलिए कलम थाम अपन... read more
तू जहां भी है
भगवान तुझे खूब लंबी उम्र दे
आज पास नहीं तू मेरे तो क्या
फिर किसी जन्म में साथ होगा
तू मेरे-
सब ने दुख दिया है मुझे
भर भर कर
गैरों से क्या अपनों ने किया है
वार मुझ पर हरपल
अच्छा है
जो टूट गया यकीन का भ्रम
अब नहीं करेंगे किसी पर
आंख बंद करके भरोसा हम-
पता है....
कुछ नहीं है पास मेरे
ना कोई अपना
ना कोई पराया
बस में और मेरी तन्हाई
है साथ एक दूसरे के
बनकर परछाई-
मेरे दुख के घड़ी में
वह मेरे अपनों से भी बढ़कर
साथ खड़े हैं मेरे
उनके प्यार भरोसा के बल पर
हर दुख कष्ट से लड़ने की हिम्मत
मिलती है मुझे
उनके इस अपनेपन के लिए
शुक्रिया लफ्ज़ भी छोटे पड़ जाएंगे
बस यूंही मेरे साथ रहे हमेशा
वो मेरे बारी अपने-
इतना कुछ है दिल में पर किसी से कह नहीं रहे हैं
चुपचाप सारे दर्द सहे चले जा रहे हैं
अपनों के होते हुए भी तन्हा जीए जा रहे हैं
भरोसा टूट गया है अब तो इस कदर
अपनों से भी लगता है अब तो डर
पर क्या करें किससे कहें अपने दिल की बात
लिखना तो चाहते हैं मगर लिख नहीं पा रहे हैं
अपने दर्द को लफ्जों में बयां नहीं कर पा रहे हैं-
दुनिया का क्या है देखती हैं तमाशा हंस-हंसकर
कभी बढ़कर हाथ बढ़ाती नहीं मदद का वह किसी का
रखती है दुनिया नजर गैरों पर वह ऐसे
पर खुद के गिरेबान पर झांकती नहीं वह कभी-
इस तरह घुट घुट कर जीना
अपनों के साथ होकर भी
तन्हा तन्हा रहना
खून के आंसू पीकर
जीने के लिए मजबूर होना
जो पीठ पीछे करते हैं वार
उन्ही के साथ एक छत के
नीचे रहना
हमें नहीं मंजूर
रोज खुद को तिल तिल मारना
-
ना काटो पेड़
हरा भरा वातावरण को
ना करो बर्बाद
पेड़ लगाओ तुम
समझ कर अपना औलाद
करो पुण्य काम-