मुहब्बत के ऑफिस से किसी रोज मैं निकाला जाता
उससे पहले ही मैने रिजाइन (Risign) दे दी-
मेरे घर के पीछे से निकलता है
और ऑफिस के पीछे डूब जाता है
ये सूरज भी सुबह से शाम तक
मुझे देखते देखते ऊब जाता है-
जब समीर बबीता को अपनी शायरी सुना रहा था और बबीता उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही थी,.. तभी उनकी ऑफिस का ऑफिस बॉय आता है और समीर को कहता है कि - "समीर सर GM सर आपको अपनी कैबिन में बुला रहे हैं, समीर उसे कहता है ठीक है मैं आता हूँ।
समीर जल्दी से GM की कैबिन की तरफ जाता है और गेट नोक करता है - "Sir May I Come In?
GM किसी से फोन पर बात कर रहे थे और अंदर से इशारे में कहते हैं - Come Inside और जब समीर अंदर जाता है तो उसे हाथ से कुर्सी की तरफ़ इशारा करते हुए कहते है बैठो।
समीर मन ही मन सोचता है कि GM इतना शांत कैसे है और अपनी आदत अनुसार यूँ ही मन में..
" लगता है मेरी किस्मत को खुशियों की मिली सौगात है,
चुप है हमेशा दहाड़ने वाला, कुछ तो यक़ीनन बात है।।"
समीर के फोन पर बार बार मैसेज की टोन बज रही थी, शायद उसे....-
यहां किसी की किसी से दुश्मनी नहीं
पर कब किसको कोई कहां से हिला दे, गारंटी नहीं
कब किसका हो जाए पलड़ा भारी
फूंक फूंक कर कदम रखे, पर शामत बिन बोले अाई
ये कॉरपोरेट है, भाई...!
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परजीवी व परपोषी लोग
हर जगह मिल जाते है
ऑफिस और दफ्तर में
हर जगह टकराते है
बहती गंगा में हाथ धोने के
सिद्धांत को अपनाते है
लज्जा को भी लाज आ जाये
ऐसी चारित्रिक गिरावट
का नमूना दिखलाते है-
लौटा नहीं है दिन,
अभी तक आज ऑफिस से ।
इधर बैठी हुई है शाम,
ड्योढ़ी पर ज़रा बेचैन सी ।।-
"ये शनिवार तुम मेरे साथ गुजारो
अच्छा लगे तो इतवार भी रूकना
ये सोमवार तुम आॅफिस पधारो
सच्चा लगे तो मेरे काम से जुड़ना"
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LockDown के बाद
ऑफिस जाता आदमी
ऐसा लगेगा,
जैसे दुल्हन अपने
मायके से विदा हो रही हो !!
😂😂🤣🤣😂😂-
लो फिर से चांडाल आ गया
ऑफिस में भूचाल आ गया,
लो फिर से चांडाल आ गया।
आते हीं आलाप करेगा,
अनर्गल प्रलाप करेगा,
हृदय रुग्ण विलाप करेगा,
भाँति भ्रांति अशांति सन्मुख,
जी का एक जंजाल आ गया,
लो फिर से चांडाल आ गया।
पूरी कविता कैप्शन में पढ़े-
चाय पर बुलाओ तो कुछ घर जैसा माहौल बने,
ये तेरा कॉफी पर बुलाना हमें ऑफिस जैसा लगता है ! ! - - एस.एस.आर.स्टाइल😎😎-