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जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित क... read more
क्षुधा प्यास में रत मानव को , हम भगवान बताएं कैसे?
परम तत्व बसते सब नर में , ये पहचान कराएं कैसे?
ईश प्रेम नीर गागर है वो, स्नेह प्रणय रतनागर है वो,
वही ब्रह्मा में विष्णु शिव में , सुप्त मगर प्रतिजागर है वो।
पंचभूत चल जग का कारण ,धरणी को करता जो धारण,
पल पल प्रति क्षण क्षण निष्कारण,कण कण को जनता दिग्वारण ,
नर इक्षु पर चल जग इच्छुक,ये अभिज्ञान कराएं कैसे?
परम तत्व बसते सब नर में ,ये पहचान कराएं कैसे?
कहते मिथ्या है जग सारा , परम सत्व जग अंतर्धारा,
नर किंतु पोषित मिथ्या में , कभी छद्म जग जीता हारा,
सपन असल में ये जग है सब ,परम सत्य है व्यापे हर पग ,
शुष्क अधर पर काँटों में डग ,राह कठिन अति चोटिल है पग,
और मानव को क्षुधा सताए , फिर ये भान कराएं कैसे?
परम तत्व बसते सब नर में ,ये पहचान कराएं कैसे?
क्षुधा प्यास में रत मानव को ,हम भगवान बताएं कैसे?
परम तत्व बसते सब नर में ,ये पहचान कराएं कैसे?
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