Experiencing joy
when you cannot
Is when you know
you can indeed-
हम उस बदी के फ़लसफ़े
जो तिश्नगी से चल हुए
क्या भूख, प्यास का धुआँ
सब जंग से हुआ फ़ना
अब तुम ये क्यों फिर कहते हो
“लड़ो नहीं बड़े बनो”
हम है अड़े तो हैं बड़े
सब भूखों की मज़ार में
हम ढाल बन हुए खड़े-
एक मजलिस है दर्द और दिल का,
बेक़शी में ख़ुशी अन्दाज़-ए-अय्यारी दिखाती है
I am feeling sad-
मेरे कहने भर के फ़र्क़ से
जाकर हर उन्स से
फ़िराक़ ढूँढ लाती है।
कहने को तो है सबकी
पर सिर्फ़ किसी एक की ही
रूह कहलाती है।
शब्दों से सबकी है दोस्ती
पर अपने लिखे हुए लफ़्ज़ों से
इश्क़ करा जाती है।
कुछ कम ही हैं मेरे ऐसे हमराज़ जिन्हें हर छोटी सी बात का इल्म होता है। मुझे फ़क्र है ऐसी एक शख़्सियत से वाक़िफ़ होने का। जो समतल हो कर भी सही वक़्त पर सही शब्दों में आक्रोश दिखाने का हुनर रखती है। एक छोटा सा लेख आप सबकी “Staha” के नाम।-
//पाती//
मैं सहर का पहरेदार
एक रात यूँ टहलता हूँ ।
हर गूँजती तन्हाई में
मैं वक़्त को टटोलता हूँ ।
तू धड़क सी आ चुकी
मेरी रूह में आ बैठी है ।
तेरी चाँदनी के आग़ोश में
हर मोड़ को मैं तकता हूँ ।-