" बड़ी फ़िक्र करते हो मेरी ,
कभी जुबाँ पर मेरा नाम ले भी लिया करो !
मत पूछों मेरे बारे में ,
मेरा पैग़ाम ले भी लिया करो !
दिल -ए - अरमान, आरज़ू क्या हैं तुझसे मेरी
छोड़ दो इन्हें ,
कम से कम मेरा हाल ख़बर ही ले लिया करो !! "-
मेरा रास्ता कहीँ जाता नही था,
पर चलता तो है ना अब भी वो ?
मुझे फ़िक्र है !!
बातों को ज़बरन ख़त्म कर दिया गया था,
पर बोलता तो है ना अब भी वो?
मुझे फ़िक्र है !!
यादों को मिटाना पड़ गया था,
पर सोचता तो है ना अब भी वो?
मुझे फ़िक्र है !!
दरमियां रिश्तों की दीवारें खड़ी की गई थी,
पर कान लगाता तो है ना अब भी वो?
मुझे फ़िक्र है !!
जनाज़े में उन नज़रों की मौजूदगी भी नही थी,
पर रोता तो है ना अब भी वो?
मुझे फ़िक्र है !!
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अपनों की नाराज़गी से कुछ इस कदर दिल लगाए बैठे है कि गैरों की फ़िक्र का असर ही नहीं होता।।।।।
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क्या अब उसे फ़िक्र नहीं होती मेरी,
लगता है,अब तो उनकी ज़िन्दगी में,
ज़िक्र भी नहीं होती होगी मेरी,,-
अब जब मैं तुम्हारा जिक्र करने लगूंगा,
तो तुम्हारी फ़िक्र भी करने लगूंगा!
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इश्क़ करना हो न तो मेरी रूह से करना.
जिस्म का क्या है ये तो माटी बन जाएगा.
फ़िक्र करनी है न मेरी तो निःस्वार्थ करना.
स्वार्थ का क्या है आज है कल मिट जाएगा.
-
मेरी कुछ गलतियों ने
मेरी सारी फ़िक्र
और अच्छाइयों को मिटा दिया
मैं कुछ दिन गलत लगा
और उसने महीनों के
बेगरज़ प्यार को भुला दिया
- साकेत गर्ग 'सागा'-
तेरी ही 'याद' में खोता रहा,
सोता रहा मैं....सोता रहा।
ना कोई 'काम' हुआ,
ना कोई 'धाम' हुआ,
जो भी हुआ 'सरेआम' हुआ।
बन्दा था मैं भी हृष्ट-पुष्ट,
अब चूसा हुआ 'आम' हुआ।
तुझे कभी ना थी मेरी फ़िक्र,
आज तक नहीं किया मेरा 'ज़िक्र',
मैं ही था 'दीवाना' जो परेशान हुआ।
दर-दर भटकता रहता हूँ अब,
मिलेगा मेरा साहिल मुझे कब,
अब तो माथे पर भी 'पागल' निशान हुआ।
ना कोई 'काम' हुआ, ना कोई 'धाम' हुआ,
जो भी हुआ 'सरेआम' हुआ..
- साकेत गर्ग-
उदास ना हो....
तुम लिखकर लाना हर फ़िक्र,
एक कोरे कागज़ पर....✍️✍️
फिर हम बतायेंगे तुम्हें...कैसे..
जहाज बना कर उड़ाया जाता है!!🤗
💃💃🌹🌹🌹🌹🍫🍫-