QUOTES ON #फ़साना

#फ़साना quotes

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15 NOV 2018 AT 14:38

कैसा ये फ़साना गढ़ गए
हर बात पे बहाना पढ़ गए

ख़ुद की गलती पर सौ पर्दे
दूजे पे राशन ले चढ़ गए

गर पूरा ना हो काम अपना
किस्मत पर दोष मढ़ गए

छोटे में माँ को पूछे सौ सवाल
अब वो पूछे तो बिगड़ गए

छेड़ी हर आती जाती कन्या
बहना को ताड़ा तो लड़ गए

कैसा ये फ़साना गढ़ गए....

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30 JUL 2019 AT 13:27

मेरा प्यार तुम्हे अपना ना बना सका
किसी के झूठे आँसुओ ने तुम्हे अपना बना लिया
मेरी खामोशी से ज्यादा किसी की झूठी
बातो ने तुम्हे अपने जाल में फंसा लिया
कैसे उसने तुमसे तुम्हारी खुशियो
का हक छीन लिया
कैसे तुम्हारा वजूद मिटा दिया
अब मैं नही वक़्त ही बताएगा ।।

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15 DEC 2019 AT 16:19

सुनो लौटा दो मेरा वो गुज़रा वक्त,जो गुज़रा था तेरे संग
लौटा दो वो मेरे प्यार की मस्तियां
वो प्यार से खेली गई,बारिश में नाव की कश्तियां,
लौटा दो मुझे मेरा वो तुझसे मिलने का बहाना..
वो दोस्तों की शादी,जहाँ हुई थी अपनी मोहब्बत की बर्बादी,
लौटा दो मुझे वो मेरे कॉलेज की जवानी,
जहाँ होती थी मेरी दीवानी,परियों की रवानी, अपनी मोहब्बत की कहानी,
लौटा दो मुझे मेरा वो गुज़रा वक्त,जो गुज़रा था तेरे संग...
याद आती है वो कॉलेज के नुक्कड़ वाले की पानी की टिक्की,
वो तेरा मेरे साथ बेधड़क, बेपरवाह हो कर घूमना,
वो ज़िन्दगी को जीने का अलग ही फ़साना,
वो कॉलेज की मोहब्बत, वो दोस्ती, वो प्यार का तराना
वो तेरे संग सड़के हज़ार नापना,
लौटा दो मुझे मेरा वो गुज़रा वक्त,जो गुज़रा था तेरे संग...
लौटा दो मुझे मेरे सुबह का वो अहसास,शाम को बहकते मेरे जज़्बात
जहां तेरे होने से खुलती थी मेरी आँखें,
तेरे जाने से होती थी मेरी रातें,
लौटा दो मुझे मेरा वो गुज़रा वक्त,जो गुज़रा था तेरे संग...
जहां खुश होने के लिए न ढूंढ़ना पड़े बहाना,
जहां ज़िन्दगी को जीने का अलग ही था फ़साना,
लौटा दो मुझे मेरा वो गुज़रा वक्त,जो गुज़रा था तेरे संग...

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6 JUN 2020 AT 22:55

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31 JUL 2017 AT 1:59

जिसे लतीफ़ा समझ तुम मुस्कुराई थी
बस वही लतीफ़ा मेरा हाल-ए-दिल था

मैं कह भी गया तुम समझ भी न पाई थी
बस इतना सा फ़साना-ए-ग़म-ए-दिल था

- साकेत गर्ग

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29 JAN 2019 AT 23:17

करते-करते इन्तेज़ार उनके लौट आने का,
एक दिन बस यूँ ही मर जाना है

ख़बर भी नहीं लेंगे वो मरने के बाद,
अब इस इश्क़ का बाकी यही फ़साना है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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25 SEP 2018 AT 12:14

बस इतना सा अपना फ़साना था
वो नहीं आये जब उन्हें आना था

- साकेत गर्ग 'सागा'

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4 APR 2019 AT 14:59

ज़माने को
लोग हवा देने लगे है,मेरे फ़साने को

और तो कुछ ,नही गरज़ दिल को राहते सकूँ है, ख्याबो में
फ़िराके सज़दे में है,नज़र आने को दर से लौट जाता है जो,जाने दो

तेरे दीदार की है,किसे उम्मीद दो पल कर दो हमे तन्हा
सोचते है युहीं दिल बहलाने को बेक़रार है दिल,अश्क़ बहाने को

रूह तलक तो, खंगाली है साँस थम जाए मलाल नही,राज
क्या रहा अब,आज़माने को तुम बस बाहों में सिमट जाने दो

खुमारे यार, हमे नसीब कहाँ Dr Rajnish
कदम ले आए हैं, महखाने को Raj4ever

क्यों बेवज़ह पर्दा रखते हो
बचा क्या है, दिखाने को

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7 MAR 2021 AT 16:50

फ़सान/فسانہ
हाल/a tale

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6 AUG 2020 AT 18:12


गम देकर फिर ये मनाना कैसा
ये फसाना कैसा ये अफ़साना कैसा
टुकड़े हो गए हैं दिल के
अब तो जीना भी जैसे मर जाना जैसा।

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