HEMANT "UNIQUE"   (✍️ Hemant"unique")
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Joined 13 January 2020


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20 JUN 2023 AT 14:10

*ऊँचाइयाँ*

अगर थक कर मैं फिर चल दूँ ,
तो बता अभी मैं कहां हारा हूँ ।

बौनी सी हैं ठोकरें तेरी ज़िन्दगी,
देख सामने तेरे खड़ा दोबारा हूँ।।

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12 JUN 2020 AT 18:32

'मेरे भी कई ख्वाब थे',जो पढ़ न सका वो किताब थे,
हालात बुरे हैं मेरे,वरना किस्मत में कई खिताब थे।

चिलचिलाती धूप से परे ,सीने में कुछ आफताब थे,
दौर था वो बचपन का,हाथ में कलम और दवात थे।

हमारी भी कई मंजिलें थीं ,जिन्हें पाने को बेताब थे,
समंदर नहीं था मगर , हुनर में बहुत सारे तालाब थे।

कड़ी मेहनत का शौक था ,हम भी घर के नवाब थे,
पंख खोलती तो बताते,हर सवालों के हम जवाब थे।

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12 JUN 2020 AT 12:32

जिया नही गया हमसे, बगैर तेरे एक पल भी,
ढूंढ रहे थे कल भी तुमको, ढूंढेंगे हम कल भी।

प्यारा सा वो रिश्ता था ,और दिलों में हलचल भी
सूख गया पौधा दिल का,बरसे नहीं ये बादल भी।

तू ही तो इक भौरा था , थी फूल सी मुहमे महक भी,
उजड़ गया बगिया दिल का, खिलना नहीं कमल भी।

सहम गया है मन मेरा ,बन गए हो तुम ही ग़ज़ल भी,
आओगे ज़रूर इक रोज तुम ,है विश्वास अटल भी।

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23 JUN 2021 AT 7:36

"कुदरत का कहर"
✴️(COVID-19)✴️

उजड़ा उजड़ा सा आज शहर लग रहा है,
कुदरत का कुछ ऐसा, कहर लग रहा है।
क्या खूब तरक्की कर ली हम इंसानो ने,
इंसान को इंसान से ही, डर लग रहा है।
उजड़ा उजड़ा सा आज..................

तबाह ज़िन्दगी इस कदर लग रहा है,
हवा में घुला कोई ,ज़हर लग रहा है।
रहते थे सुकून से जिस छत के नीचे ,
श्मशान सा कोई ,खंडहर लग रहा है।
उजड़ा उजड़ा सा आज...................

Corona का ऐसा ये लहर लग रहा है,
डर अनहोनी का, हर पहर लग रहा है।
सूखने लगे हैं रिश्ते ,मतलब की आड़ में,
कभी दरिया था जो, अब नहर लग रहा है।
उजड़ा -उजड़ा सा आज.....................

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3 MAY 2021 AT 8:39

"सफर से suffer तक"

नहीं रहोगे तुम अब सफर में ,बस तुम्हारी बात रह जायेगी।
जिसकी सब्र में थे हम बेसब्री से ,वो मुलाकात रह जायेगी।

बड़े खूबसूरत थे हर वो लम्हे जिसमे बस हम और तुम थे ,
दिल खुश था जिसे महसूस करके ,वो ज़ज़्बात रह जायेगी।

जाहिर है कुछ वक्त तुझे भी दिया, हमने यूँ ही अपने हिस्से का,
दिल मे अंदर ही दब के कहीं ,वो सारी खयालात रह जायेगी।

बेचैन कर देती हैं अक्सर मुझे ये चुप्पी तेरे मासूमियत की,
नही मिला जिनका जवाब कभी ,कुछ सवालात रह जायेगी।

खत्म होगा एक हसीं सफर ,दो दिलों में कुछ यूँ दूरियां देकर ,
भीगेंगे हम जी भर के जिसमे ,आसुओं की बरसात रह जायेगी।

लड़ा करते थे बेहिसाब - बेवजह अक्सर यूँ ही जिन बातों पर,
अब अधूरी सी तुम्हारी बात रह जायेगी, हमारी बात रह जायेगी।

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1 MAY 2021 AT 7:21

"जीवन - साथी"

मेरे जीवन का सफर,उसके नाम से सजाया जाएगा।
घर उसका ही उसको अब ,बताया पराया जाएगा।।

लिए फिरते थे जिन जख्मो को हम अपने ही दिल में,
बेझिझक उसकी बाहों में सब आके बताया जाएगा।।

रखेंगे सिलसिला तंग करने का, यूँ ही एक दूसरे को,
नज़र मिलाकर एक दफा ,बेइंतहां सरमाया जाएगा।।

बड़ी शिद्दत से निभाना होगा उसे हर रिश्ता नए घर में,
कुछ इस कदर उसे हर कदम पर, आजमाया जाएगा।।

घर आएगी मेरे वो अपनी सब अनकही ख्वाहिशें लेकर,
उसकी ख्वाबों का भी,नया आशियाना बनाया जाएगा।।

कुछ यूं उसके हंसी जीवन में मेरा नाम छुपाया जाएगा।
हाँ उसकी हांथो में मेरे नाम का मेहंदी रचाया जाएगा।।

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8 MAR 2021 AT 17:46

🔺🔹🔷शुभ महिला दिवस🔷🔹🔺
❤️RESPECT EVERY WOMAN❤️


कैसे लिखूं ,क्या-क्या लिखूं मैं आज उसकी हर बातों को,
मेरी ही बस्ती में रहती है वो, दबाकर अपने ज़ज़्बातों को।

ताना सुनकर भी मुस्कुरा देती है अक्सर बड़े सलीके से,
नमक है तेरी मुट्ठी में, कैसे कहे वो दर्द और आघातों को।

महफूज़ नहीं है आज वो तेरे घर - गली और चौराहों पर,
जी करता है रख दूं जलाकर , तेरे कानून की किताबों को।

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7 MAR 2021 AT 10:54

"तो चले आना"

माना दूरियां बहुत हैं दरमियाँ, हमें आजमाने को,
कौन समझाए ये प्यार ,इस कमबख्त ज़माने को,
फिर भी भरोसा हो दिल की नज़दीकियों पर........तो चले आना।

खो जाता हूँ अक्सर यूँ ही कुछ सवालों में,
बेवजह बेमतलब के उलझे हुए बवालों में,
बन सको जवाब अगर कोई लाजवाब सा..........तो चले आना।

कलम और कागज़ मंजिल नहीं मेरी राह के,
तंग करना किसी यूँ नही किस्से मेरी चाह के,
बन सको स्याह अगर तुम मीठे ग़ज़ल सा........तो चले आना।

हार जाऊंगा मैं तुमसे हर दफा तुम्हें ही पाने को,
तेरी खुशी को इन आंखों का नज़राना बनाने को
मना सको अगर यूँ ही कोई रूठा तुम भी........तो चले आना।

कुछ ख्वाब बुने हैं मैंने ऊँची उड़ानों के ,
माँ -बाप के सपनों को अपना बनाने के,
बन सको अगर पंख इन ज़िद्दी हौसलों की..........तो चले आना।

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6 MAR 2021 AT 7:54

"कुछ अधूरा -कुछ पूरा"

ज़िन्दगी के सफ़र में यूँ तो मकाम कुछ पूरे भी होंगे,
कहाँ हासिल होता सबकुछ,हम कुछ अधूरे भी होंगे।

कहाँ खत्म होते ये सिलसिले सवालों और जवाबों के,
खंजर सी चुभने वाली बातों के, पीठ में छुरे भी होंगे।

नापने लगे हो हर बात को अब औरों की तराजू में ,
तो अच्छे थे हम अबतक, हम ही अब बुरे भी होंगे।

बड़ी सादगी से हमने उसके दर्द को अपना समझा,
कहाँ खबर था उसी के जख्म से, हम घिरे भी होंगे।

कौन कहता है राह-ए-मंजिल में ठोकर नहीं मिलते,
हासिल हुआ मकाम जिन्हें ,बहुत दफा गिरे भी होंगे।

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18 JUL 2020 AT 9:22

"छोड़ जाना"

खुश रह सको मेरे बगैर अगर तुम, तो छोड़ जाना,
रह गयी हो कोई कमी वफ़ा में, तो मुह मोड़ जाना।

यूँ तो कुछ राज सीने में भी दबे हैं हमारी मुलाकातों के,
दिल रख दूंगा निकाल के, समझकर कांच तोड़ जाना।

सारी शिकायतों का हिसाब दूंगा, अब मैं तेरी मर्जी से,
शिकवे - गीले हों अगर ,सब मेरे पास यूँ छोड़ जाना।

ना हो कोई और खफा तुम्हारी मासूम सी नादानियों से ,
जहन में हो अगर गुस्सा ,मेरे ऊपर ही सब फोड़ जाना।

इंतजार रहेगा मुझे तुम्हारा, कि जमाना बहुत जालिम है,
दर्द आये कभी हिस्से में, रिश्ता फिर मुझसे जोड़ जाना।

चाँद-तारों सी चमक हो तेरी हर मुस्कुराहट हर खुशी में,
तेरी खुशी के खातिर ही तो, छोड़ा है मैंने सारा जमाना।

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