दुःख को आँच पे पूरा पक कर ही उतरना चाहिए चूल्हे से
और बदल जाना चाहिए सुख की थाली में
अधपके दुःख अक्सर गहरी उदासी में बदल जाते हैं
और रूह को दे जाते हैं कभी न उतरने वाली हरारत
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इसलिए मैंने चूल्हे को अभी बुझने नहीं दिया है...-
ये मुसाफ़िर, आवारा ही रह गया!©
An Introvert Soul Stuck In An ... read more
तुम्हारे आने
और जाने के बीच
चखा था जो
इश्क़ का शहद
धीरे धीरे घुल रहा है
साँसों में, ज़हन में
रूह में, रगों में
स्वाद अब भी रखा है
ज़ुबाँ पे
जैसे अंतिम समय पर
रखते हैं सोना मुख में
....
इतनी मीठी मृत्यु
सबको नसीब नहीं होती..।-
जो रातें नींद लाने की जद्दो-ओ-जहद में करवटों में गुज़रती हैं ....
वो सबसे गहरी होती हैं!-
मुझे लगता है कि पिछले जनम में
मैं एक तारा थी,
जिसकी परछाईं आज भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती।
आज भी अंदर से टूटकर
दूसरों के मन का करती हूँ।
.....
इसलिए जब भी कोई तारा टूटता है,
मैं आँख मूंदकर अपने लिए नहीं उसके लिए दुआ मांगती हूँ।
अपनी मौत के बाद यूँ ख़ुद की आत्मा की शांति की दुआ करना सबके नसीब में नहीं होता....!-
और एक दिन हम बचपन जैसे चीजों के लिए रोना छोड़ देते हैं..
ठीक उसी रोज़ से ज़िम्मेदारियाँ हमारे लिए रोने लगती हैं...!
रोने से सबकी ज़िद्द पूरी होती है..-
बहुत दिन दबा कर रखने से मर जाता है सबकुछ
जैसे किसी डायरी में एक फूल, कोई रिश्ता, कुछ चाहतें, ढेर सारे शौक और एक मन....!-
न जाने कितनी 31 दिसंबर की रातें बीत गईं 1 जनवरी की सुबह के इंतज़ार में....
फिर दबाये गए कुछ पुराने पन्ने दुःख, अवसाद, कोई मरी हुई ख्वाहिश या किसी की याद के
इस दफ़ा नया साल नया होगा, किया हुआ ख़ुद से एक वादा, फिर लिखी गई नई अधूरी कविता... एक टूटा फूटा गीत...
उधर 2 जनवरी इस एक दिन के नए हुए शख्श के इंतेज़ार में है कि कब वो फिर से सबकुछ भुलाकर उसकी गोद में सिर रख लेगा ..
और इंतेज़ार करेगा फिर एक और 31 दिसंबर की रात का ख़ुद को नया बनाने के लिए...
उफ़्फ़ ये 31 दिसंबर से मोहब्बत....-
रिश्ते की गणित सुलझाते सुलझाते रिश्ता ही शून्य हो गया...
बाज़ दफ़ा अनसुलझे रिश्तों में छुपी होती है किसी हल की उम्मीद..!
अभी रहने दो कुछ देर उसे यूँ ही उलझा सा...-
बहुत साल बाद कल तुम्हें सपने में देखा, उसी पुरानी मोहब्बत के साथ
तुम जब लौटे थे इक रोज़, धुंधले ही लगे
मग़र यादों में सदा करीब ही रखा तुम्हें
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इंसान चला जाता है, मोहब्बत रह जाती है ..
फिर इक रोज़ इंसान लौट आता है और मोहब्बत चली जाती है..!-
कितने दुःख हैं जिन्हें नापने का कोई पैमाना नहीं ..
किसी का दुनिया में रहकर भी कभी न लौटना और किसी का दुनिया में न रहकर फिर कभी न लौटना..
कौन सा दुःख बड़ा है, किस दुःख में अधिक उदासी है..— % &-