Swarima Tewari   (Swarima Tewari)
5.6k Followers · 152 Following

read more
Joined 20 December 2017


read more
Joined 20 December 2017
15 JAN AT 19:37

दुःख को आँच पे पूरा पक कर ही उतरना चाहिए चूल्हे से
और बदल जाना चाहिए सुख की थाली में
अधपके दुःख अक्सर गहरी उदासी में बदल जाते हैं
और रूह को दे जाते हैं कभी न उतरने वाली हरारत
.....
.....
इसलिए मैंने चूल्हे को अभी बुझने नहीं दिया है...

-


10 JAN AT 23:16

तुम्हारे आने
और जाने के बीच
चखा था जो
इश्क़ का शहद
धीरे धीरे घुल रहा है
साँसों में, ज़हन में
रूह में, रगों में
स्वाद अब भी रखा है
ज़ुबाँ पे
जैसे अंतिम समय पर
रखते हैं सोना मुख में
....
इतनी मीठी मृत्यु
सबको नसीब नहीं होती..।

-


10 JAN AT 1:49

जो रातें नींद लाने की जद्दो-ओ-जहद में करवटों में गुज़रती हैं ....

वो सबसे गहरी होती हैं!

-


7 JAN AT 20:58

मुझे लगता है कि पिछले जनम में
मैं एक तारा थी,
जिसकी परछाईं आज भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती।
आज भी अंदर से टूटकर
दूसरों के मन का करती हूँ।
.....
इसलिए जब भी कोई तारा टूटता है,
मैं आँख मूंदकर अपने लिए नहीं उसके लिए दुआ मांगती हूँ।
अपनी मौत के बाद यूँ ख़ुद की आत्मा की शांति की दुआ करना सबके नसीब में नहीं होता....!

-


6 JAN AT 2:34

और एक दिन हम बचपन जैसे चीजों के लिए रोना छोड़ देते हैं..
ठीक उसी रोज़ से ज़िम्मेदारियाँ हमारे लिए रोने लगती हैं...!
रोने से सबकी ज़िद्द पूरी होती है..

-


6 JAN AT 1:39

बहुत दिन दबा कर रखने से मर जाता है सबकुछ
जैसे किसी डायरी में एक फूल, कोई रिश्ता, कुछ चाहतें, ढेर सारे शौक और एक मन....!

-


1 JAN AT 1:00

न जाने कितनी 31 दिसंबर की रातें बीत गईं 1 जनवरी की सुबह के इंतज़ार में....
फिर दबाये गए कुछ पुराने पन्ने दुःख, अवसाद, कोई मरी हुई ख्वाहिश या किसी की याद के
इस दफ़ा नया साल नया होगा, किया हुआ ख़ुद से एक वादा, फिर लिखी गई नई अधूरी कविता... एक टूटा फूटा गीत...

उधर 2 जनवरी इस एक दिन के नए हुए शख्श के इंतेज़ार में है कि कब वो फिर से सबकुछ भुलाकर उसकी गोद में सिर रख लेगा ..
और इंतेज़ार करेगा फिर एक और 31 दिसंबर की रात का ख़ुद को नया बनाने के लिए...
उफ़्फ़ ये 31 दिसंबर से मोहब्बत....

-


31 DEC 2024 AT 23:47

रिश्ते की गणित सुलझाते सुलझाते रिश्ता ही शून्य हो गया...

बाज़ दफ़ा अनसुलझे रिश्तों में छुपी होती है किसी हल की उम्मीद..!
अभी रहने दो कुछ देर उसे यूँ ही उलझा सा...

-


12 FEB 2023 AT 13:39

बहुत साल बाद कल तुम्हें सपने में देखा, उसी पुरानी मोहब्बत के साथ
तुम जब लौटे थे इक रोज़, धुंधले ही लगे
मग़र यादों में सदा करीब ही रखा तुम्हें
.
.
.
इंसान चला जाता है, मोहब्बत रह जाती है ..
फिर इक रोज़ इंसान लौट आता है और मोहब्बत चली जाती है..!

-


16 FEB 2022 AT 13:52

कितने दुःख हैं जिन्हें नापने का कोई पैमाना नहीं ..

किसी का दुनिया में रहकर भी कभी न लौटना और किसी का दुनिया में न रहकर फिर कभी न लौटना..

कौन सा दुःख बड़ा है, किस दुःख में अधिक उदासी है..— % &

-


Fetching Swarima Tewari Quotes