गलती हुई है तो ऐतबार भी कर,
मुझसे एक बार प्यार भी कर।
सुबह का साज़ भी तो है,
शाम का ज़िक्र बार-बार भी कर।
तुझ से क्या करूँ अब मैं शिकवा,
भूल कर किसी-से आँखें चार भी कर।
दिल-की-बातें-दिल-में ही रहने दे,
बार-बार पूछ कर शर्मसार भी कर।
हैं हमें वस्ल की ख़्वाहिश मगर,
यूँ मुझे भूल जाने की बात भी कर।
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