पता ही नही चला कब ज़िन्दगी पीछे छूट गई
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BELIEVE THAT
JOURNALIST ✍✍
Insta : Uniquevinay17(Vinay Bharti)
तू महज इक सफर हैं मेरा
तू मेरी मंज़िल हो नही सकती,
क्योंकि सफर में मंज़िल मिल जाने से
ज़िंदगी मे अक्सर ठहराव आ जाता हैं,
बेशक मुझे मंज़िले तो पसंद हैं, लेकिन
मंज़िल अगर ज़िंदगी मे ठहराव ले कर आये
तो वो मेरी मंज़िल हो नही सकती ।-
घड़ी
टिक-टिक तू करती रहती
समय हमें बतलातीं हैं | -2
यु तो कोई शोर नही तेरा
फिर भी जीवन के हर क्षण पर जोर हैं तेरा
यु तो कोई मोल नही तेरा
फिर भी तू सबसे धनवान हैं
हैं यदि विपदा, तो तेरा अपमान है
हैं यदि सुख , तो तू अभिमान हैं - 2
जीवन जीये, न जीये , तू हमेशा चलती हैं
बस एक यही बात, दिल को हरदम खलती हैं | - 2-
विश्व पर्यावरण दिवस
इंसान और पर्यावरण दोनों से दिल लगाइये।
इंसान आपका साथ देगें , पर्यावरण सांस ।।-
खुद से खुद का वजूद बनाना हैं
मुझे एक सफर पर जाना है
रास्ता लंबा हैं
मुश्किले है कई
मगर हौसला मजबूत बनाना है
मुझे बस सफर पर चलते जाना है-
मंज़िल(घर)की चाहत हैं, तो चलना लाज़मी हैं साहब!
न छालों का दर्द, न भूख की परवाह बस रास्ता खुला रखना
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चंदा मामा से , चाँद महबूबा तक
इक बीती ज़िन्दगी हैं जिसे "बचपन" कहते हैं-