Ragini Patel   (राgini)
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Joined 5 December 2019


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Joined 5 December 2019
5 APR AT 23:15

आख़िर हम तुम्हे हद से ज्यादा न चाहते तो करते क्या
आबाद हुए थे तेरे इश्क में
आख़िर बदले में तुम हमे बर्बाद न करते तो करते क्या

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14 JAN AT 23:21

खूबसूरती कमाल है मासूम से चेहरे की सादगी बेमिसाल है
नजरें खामोश हुई उसकी अदाओं से दिल में मचा बवाल है

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25 SEP 2023 AT 0:11

एहसान तेरा होगा ठहर जाओ दो घड़ी पहलू मे मेरे
ऐ इश्क इस बार ठहर जाने के लिए आ जा

शौक हो गया है चांद की तरह तुझे निहारने का
छुप न बादलों में मेरे दीदार- ए-सुकून के लिए आ जा

एक उम्र गुजरी है इस बरसात के इंतजार में
के इस रात को अफ़्साना बनाने के लिए आ जा

माना कि मोहब्बत का छुपाना भी मोहब्बत है
चुपके से इक रोज़ मोहब्बत जताने के लिए आ जा

कोई इल्म नही तुझसे फिर ये सितम क्यों है
इस बार रूठ जाने के लिए नही मनाने के लिए आ जा

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13 SEP 2023 AT 0:27

जिंदगी के सफ़र में
कुछ साथ अधूरे रह जाते हैं
कौन समझेगा हमे
न कह पाने की बेबसी में
कुछ बात अधूरी रह जाती है
कौन निभाएगा साथ
उम्र भर इस कश्मकश में
कुछ वादे ,कसमें अधूरी रह जाती है

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1 AUG 2023 AT 21:58

नाम नही देना मोहब्बत को मेरी
है बेपनाह मोहब्बत मुझे तुमसे इकरार किया
रात भर तेरी बातों के संग नींदों को तमाम किया
अब तो दिन का हर पहर भी इश्क के नाम किया
छुपाती हूं दुनिया से तुझे तेरे हक में ये काम किया
जब जब वाकिफ हुआ ज़माना मोहब्बत से मेरी
इस दुनिया ने मोहब्बत को मेरी बदनाम किया
नाम नही देना मोहब्बत को मेरी
तुम्हें चाहते जाना इसके सिवा हमे और काम क्या
हैं एक दूजे के साथ हम ये दुनिया को बताना क्या
हर-नफ़स एक टीस लिए ज़िंदगी में है कुछ और क्या
सफ़र इस ज़िंदगी का उस जगह पहुँचा है अब मेरा
जहाँ तकलीफ ही मिले वहां ख्वाहिश आराम की क्या
दफन कर ली है मोहब्बत सीने में अब और मरना क्या
नाम नही देना मोहब्बत को मेरी

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18 JUN 2023 AT 21:01

रहूं तन्हा तो अब तन्हाई नही डराती है
याद करूं तो भी अब न यादें रुलाती हैं
खुद से कर ली है मोहब्बत हमने जबसे
तबसे हर रोज सबको नई नज़र आती हूं

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16 JUN 2023 AT 20:45


याद करूं जब उसे यादें पागल कर देती हैं
बातें भी उसकी हमे पागल कर देती हैं

देखूं जब उसका चेहरा होश उड़ा देता है
निगाहों से बात कर हमें घायल कर देता हैं

लड़ रही थी कश्ती लहरों से बीच दरिया में
मिले जो किनारा तो मंजिल पागल कर देती है

मोहब्बत का सब्र है दिन तो ख़ैर गुज़र जाता है
घिरे हो बादल तो चांद को रातें पागल कर देती हैं

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10 APR 2023 AT 23:23

धूप इतनी थी की मोहब्बत से भरे सारे दरख़्त सूख गए
बस एक तेरी यादों का शजर था जो बे-समर न हुआ

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28 FEB 2023 AT 19:37

बिखर कर भी जुड़े रहना है औरों के लिए सदा मुस्कुराते रहना है
गुजर जायेगी अपनी जिंदगी यूं ही बस अपनों के लिए जीते रहना है

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24 FEB 2023 AT 23:57

आज उलझन भी उलझन में है
कैसी उलझन है जो सुलझती ही नहीं

उगे उम्मीदों का किरण हमारे लिए भी कभी
अंधेरी काली रातें अब गुजरती ही नहीं

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