जितना भी चाहू तुझे ,,क्यों रह जाती है कोई न कोई कमी।।।।।
मैं कुछ कहूँ न कहूँ ,,बयाँ कर ही देती है मेरी आँखों की नमी।।।।💖-
कभी कभी रोने का मन होता है
आँखें मींच सोने का मन होता है
या तो कोई मुझे न दे दिखाई
या खुद ही अदृश्य होने का मन होता है
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साफ़ दिल वालों की सबसे बड़ी... निशानी ये होती है की ,,
कि वो अपनी गलती... न होने पर भी रो देते है ..!!
- शशांक भारद्वाज...— % &-
मरने के बाद लोगों के किस्से बहुत मसहूर होने लगते हैं,
कोई ये नही कहता वो मैखाने पे कश लगता था
या कृष्ण के बोल सुनाता था।
भूल जाते हैं सब,कुछ दिनों में, और
आँसू भी फिंके अब होने लगते हैं।।
कोई अपना या बेगाना नहीं होता,जब जाते हैं कब्रिस्तानों में,
सोइ शरीर को 'राम' का नाम ले कर जगाने लगते हैं।।
जानते हैं , उठेगा नहीं अब ये,
फिर क्यों आँसू बहाने लगते हैं।।
पूछा जब टूटी चूड़ियों से,
तो सुनी मांगें दिखाने लगते हैं,
जब पूछा माँ के आँशुओं से,
कलेजा चिर दिखाने लगते हैं।।
गैरों को क्या परवाह किसी की,
बस झूठा हिम्मत दिलाने लगते हैं।।
मरने के बाद लोगों के किस्से बहुत मसहूर होने लगते हैं।।-
घर की पुरानी दीवारों में अब सीलन होने लगी है,
सुंदरता के साथ ये अपनी मजबूती भी खोने लगी हैं!!
संजो के रखा था अब तक ना जाने कितनी यादों को,
देख के कोने में वो संदूक टूटी, यादें भी रोने लगी है!!
ईट, पत्थर, चूने, लोहे, लकड़ी से बनाया था इसको,
टपकती छत, अब फर्श ख़ुद - ब - ख़ुद धोने लगी है!!
बचपन, यौवन, जवानी, बुढ़ापा सब देखा है यहाँ पर,
अब मौत के इंतज़ार में मेरी साँसें भी सोने लगी है!!
दु:ख, दर्द, व्याधि,थकान,अकेलापन सब देखा कुमार',
उम्र मेरी अब, इस शरीर और मकान को ढोने लगी है!!
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यूँ तो मिल जायेंगे
मिट्टी में
मिट्टी के पुतले;
हाथ रह जायेंगे ख़ाली
कफ़न में सवाली होंगे
फूल काग़ज़ के
महकेंगे मेरे गुलशन में,
लफ़्ज़ मेरे,
मेर होने की
गवाही देंगे!-
होने से कोई अपना नहीं होता
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नाम का बन कर रह जाता है
जब कोई अपना नहीं होता है
फिर वो बस दिखावे के लिए
अपना कहलाता है
दुनिया में
क्योंकि कहने को तो
पत्थर में भी भगवान
होते पर असल में तों
वो सिर्फ एक पत्थर होता है
क्योंकि होने से कुछ नहीं होता
होने में तो बहुत कुछ भी हो सकता है
पर होता नहीं है-
जिसे डर ही नहीं है मुझे खोने का ,
उसे अफ़सोस क्या होगा मेरे ना होने का ।
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इश्क़ तुमसे नहीं शायद
इश्क़ बस इश्क़ के होने से है;
इश्क़ में होना ही है सबकुछ
इश्क़ में सबकुछ खोने से है।-
इस दुनिया में तुमसे बेहतर क्या होगा?
साथ तुम्हारे होने का एहसास मिले..!
सिद्धार्थ मिश्र-