"शशांक शशि भूषण भारद्वाज"   (विराज...😊)
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Joined 17 September 2019


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Joined 17 September 2019

खो जाते हैं कुछ लोग ज़िंदगी में ...कुछ इस तरह भी ,,
दुआओं में लाख माँगने पर भी... वो हाँसिल नहीं होते..!!



शशांक भारद्वाज...

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ज़िंदगी की राहों में मुस्कुराते रहियेगा जनाब,,

क्योंकि उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते है मग़र हमसफ़र नहीं..!!



शशांक भारद्वाज...

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तारा तुम मां की आंखों का ,पापा की मुस्कान हो तुम
तुम सपना हो दादी मां का ,दादाजी का अरमान हो तुम,,
किलकारी से गूंजता आंगन... स्वर्ग से भी सुंदर लगता है
तुमसे है इस घर में खुशियां...सत्यम-शिवम की जान हो तुम,,

देख तुम्हारे चेहरे को , सारी खुशियां मिल जाती हैं
तुम मुस्काते हो... जब-जब सारी दुनिया खिल जाती है,,
सूर्य-किरण तुमसे हैं दिन में,,तुमसे तारे रातों में
खुशियों का भंडार छुपा है, तेरे प्यारे हाथों में,,

ईश्वर ने जो दिया है... वो सुंदर वरदान हो तुम,,
तुमसे है इस घर में खुशियां...सत्यम-शिवम की जान हो तुम,,

तुम सुमन-पुष्प से कोमल हो ,बसते हो सबके मन-उपवन में
है छवि तुम्हारी ये मनमोहक, बसते सबकी धड़कन में
प्रभु तुम पर रहें दयाल दुआ हम सब ये करते हैं..!!
तुम जियो हजारों साल दुआ हम ये करते है...
आपका विशेष दिन सौभाग्य से भरा हो,
और आने वाला वर्ष आपके लिए
अनेक आशीर्वाद, अच्छा, स्वास्थ्य और खुशियों के
अनंत अवसर लेकर आए...

शशांक भारद्वाज...

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सच में ढल जाते हैं किस्से दिल से दोहराने के बाद,,

इश्क़ पर होगा यक़ीन इश्क़ हो जाने के बाद..!!


शशांक भारद्वाज...

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तुम्हारे शहर के सारे दिये तो सो गए कब के,,
हवा से ज़रा पूछना कभी कि... ये दहलीज़ पे जलता कौन है..!!



शशांक भारद्वाज...

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"घर को दीपक मिले आकाश को महताब मिले
इस दिवाली पे इन आँखों को तेरा ख्वाब मिले",,
प्रकाश का यह पावन पर्व हम सबके अंतर्मन को प्रदीप्त करे!! अनंत
आसमान जैसे व्यापक विस्तार के साथ में जीवन में फैली हर अमावस्या को
अपने पुरुषार्थ की रौशनी से यथाशक्ति जगमग करने की प्रेणा देनेवाला
यह पर्व आप सबके जीवन में भी उजाला, उम्मीद और शुभ संभावनाएँ
संचारित करे तथा माँ लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि समस्त प्रकार के अर्थकारी
प्रयोजनों को सार्थक बनाये... आप सभी प्रिय मित्रों व प्रेमियों को दीपावली की आकाश भर अनंत कोटि कोटि शुभकामनाएँ!!

शशांक भारद्वाज...

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नहीं मैं खेलता होली तुम्हारे रंग गुलालों से ,,
मैं तो मदमस्त रहता हूं प्रिय तेरे ख़्यालों से ,,हरे ये नीले, लाल, ग़ुलाबी पीले ये रंग बेमाने उतर जाते हैं ये रंग पड़ते ही तनिक पानी चढ़ा रंग प्रेम का तेरे बहुत पक्का बहुत चोखा भले तू मार दे या छोड़ दे ..दे दे मुझे धोखा मैं तेरा था मैं तेरा हूं कल की बात बेमानी तेरी तब भी नहीं मानी तेरी अब भी नहीं मानी..!!

शशांक भारद्वाज...

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मैं एक सबल नारी हूं, संसार को रचती हूं,
परिवार को चलाती हूं, भेद-भाव संघर्ष झेलती हूं,
फिर भी उभरती हूं , हर एक रिश्ता निभाती हूं।
बेटी, बहन, सखी, पत्नी, मां हूं, शक्ति हूं भक्तों की भक्ति हूं,,
टूटे हारे दिल की आस हूं, सेवा भाव रखती हूं,,
पूरे घर को संभालती हूं, हर किसी का ख़्याल रखती हूं।
घर की जान हूं, परिवार की पहचान हूं,
दुःख का सहारा हूं, दर्द का मरहम हूं,,
कमज़ोर नहीं हूं, नारी हूं मैं नारी हूं..!!

शशांक भारद्वाज...

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जय शिव शंकर जय महेश... जय हो भोले त्रिपुरारी,,
जय महाकाल जय नागेश्वर जय हो... भोले भंडारी।।
जय विशधारी जटाधारी... जय शिवाप्रिय जय कामारी,,
जय जय जय जय जय शिव... शम्भू चरण वंदना करूं तुम्हारी।।
तुम मृत्युंजय तुम सूक्ष्मतनु हो... तुम ही रूद्र तुम जगद्गुरु हो,,
कालों के तुम काल कहाते काल भी... तुमसे थर-थर काँपे।।
भस्म से शोभित अंग... तुम्हारा हाथ में डमरू डम-डम बाजे,,
कृपा करो हे! त्रयीमूर्ति तुम बिल्वपत्र से... तुमको साजे।।

शशांक भारद्वाज...

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मुद्दतों बाद हुआ था... मुझे भरोसा किसी पर
फ़िर से ये साबित हुआ कि कोई भरोसे के काबिल नहीं होता..!!

- शशांक भारद्वाज...

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